01 फ़रवरी 2012

जीवन का आदर्श जहॉं पर परमेश्वर का धाम है॥

चंदन है इस देश की माटी तपोभूमि हर ग्राम है,
हर बाला देवी की प्रतिमा बच्चा बच्चा राम है,
हर शरीर मंदिर सा पावन हर मानव उपकारी है,
जहॉं सिंह बन गये खिलौने गाय जहॉं मॉं प्यारी है,
जहॉं सवेरा शंख बजाता लोरी गाती शाम है।

जहॉं कर्म से भाग्य बदलता श्रम निष्ठा कल्याणी है,
त्याग और तप की गाथाऍं गाती कवि की वाणी है,
ज्ञान जहॉं का गंगाजल सा निर्मल है अविराम है।

जिस के सैनिक समरभूमि मे गाया करते गीता है,
जहॉं खेत मे हल के नीचे खेला करती सीता है,
जीवन का आदर्श जहॉं पर परमेश्वर का धाम है॥
~पूर्णिमा मिश्रा जी

॥ जय हिन्द ॥ जय जय माँ भारती ॥ वन्दे मातरम् ॥