01 फ़रवरी 2012

मां का दिल

*** मां का दिल !!! मां का दिल !!! मां का दिल !!! मां का दिल !!! ****

बात पुरानी है ! राजा-महाराजाओं का जमाना था ! एक बलोच (ऊंट पालने वाले को बलोच कहते हैं) की एक ऊंटनी गुम हो गई ! काफी खोज-बीन के बाद उस ऊंटनी का सुराग लगा ! ऊंटनी एक सेठ के घर बन्धी थी ! बलोच ने सेठ से ऊंटनी वापिस करने को कहा ! सेठ ने साफ इंकार कर दिया ! वह उसे अपनी ऊंटनी बताता था !
बात बढ गई ! लडाई – झगडे की नौबत आ पहुंची ! लोगों के समझाने-बुझाने पर दोनो राजा के दरबार में जाने को राजी हो गए ! भरे दरबार में मुकदमा शुरू हुआ ! बलोच कहता था ऊंटनी मेरी है और सेठ कहता था ऊंटनी मेरी है !
राजा ने बलोच से पूछा – “तुम कहते हो कि ऊंटनी तुम्हारी है ! तुम्हारे पास इस बात का कोई सबूत है ?”
बलोच बडे अदब से एक कदम पीछे हट कर, झुक कर बोला – “जनाब, एक सबूत है !”
“क्या ?” – सेठ ने घूरा !
“क्या ?” – राजा ने पूछा !
“महाराज, अगर ऊंटनी को मारकर इसके दिल को चीरकर देखें तो उसमें आपको तीन सुराख मिलेंगे !” बलोच ने उत्तर दिया !
राजा हैरान ! सेठ हैरान ! दरबारी हैरान ! सभी हैरान !
“यह तुम कैसे कह सकते हो कि इसके दिल में तीन सुराख हैं !”
राजा ने आश्चर्य से पूछा – “तुम ज्योतिष विद्या जानते हो क्या ?”

“महाराज” – बलोच ने बडे अदब से उत्तर दिया –“जब किसी मां का बेटा भरी जवानी में मर जाता है तो उस मां के दिल में एक सुराख हो जाता है ! जो जिन्दगी भर नहीं भरा जा सकता ! इस ऊंटनी को मैंने बचपन से पाला है ! इसकी आंखों के सामने इसके तीन बेटे एक के बाद एक भगवान को प्यारे हो गए ! इसलिए इसके दिल में तीन सुराख अवश्य मौजूद होंगे ! मां का दिल जो ठहरा !”
दरबार में सन्नाटा-सा छा गया ! सभी हैरानी से एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे !
कहने की जरुरत नहीं कि राजा ने सेठ की सफाई सुनने की भी आवश्यकता न समझी ! ऊंटनी बलोच के हवाले करने का हुक्म दे दिया !

जय हिंद !! जय भारत !! वन्देमातरम !!