07 अगस्त 2011

प्रेम सिखाया नहीं जा सकता

प्रेम एक हार्दिक घटना है। ना तो प्रेम की कोइ प्रामाणिक व्यव्यस्था है और न ही कोई विधि है। न कोई तंत्र है न कोई मंत्र। चूंकि प्रेम एक हार्दिक भाव है इसलिए प्रार्थना भी एक हार्दिक भाव है। प्रेम सिखाया नहीं जा सकता क्योंकि सीखना मस्तिष्क के ताल की घटना है इसलिए प्रार्थना भी सिखाई नहीं जा सकती। विज्ञान सिखाया जा सकता है। 'केमिस्ट्री, फिजिक्स, गणित' आदि सिखाये जा सकते हैं परन्तु धर्म सिखाया नहीं जा सकता। इसलिए सीखी हुई प्रार्थना के परिणाम नहीं मिलते। दरअसल प्रेम, प्रार्थना और परमात्मा ये सब एक ही ताल पर घटने वाली घटनाओं के नाम हैं और वह ताल मष्तिष्क में नहीं ह्रदय स्थल पर स्थित होता है। टालस्टांय़ की एक छोटी सी कहानी से समझने का प्रयास करें।

एक झील के उस पार तीन बेपढ़े-लिखे फ़कीर रहते थे। उनकी बड़ी ख्याति हो गयी थी की वे बड़े पवित्र पुरूष हैं। ये खबर बड़े पुरोहित के पास पहुँची तो उसने कहा उन्होंने तो दीक्षा भी नहीं ली है वे पवित्र कैसे हो सकते हैं? वह पुरोहित नाव पर बैठ झील के उस पार पहुंचा। वे तीनों फ़कीर एक पेड़ के नीचे बैठे थे। जब वह महापुरोहित उनके सामने आया तो उन तीनों ने झुक कर उसको प्रणाम किया। महापुरोहित ने पूछा तुम क्या करते हो? क्या है तुम्हारी प्रार्थना? तुम्हारी पद्वति क्या है? तुमने प्रार्थना कहाँ से सीखी? वे तीनों एक दूसरे के तरफ देखने लगे। उन्होंने कहा हम पढ़े लिखे नहीं हैं, ना ही किसी ने हमें कुछ सिखाया है। हमारी खुद की बनायी हुई छोटी सी प्रार्थना है, वही हम करते हैं। महापुरोहित अकड़ कर बोला - क्या है तुम्हारी प्रार्थना? फकीरों ने कहा की हमने सुन रखा है की परमात्मा तीन हैं, 'त्रिमूर्ति' हैं। तो हमने एक प्रार्थना बना ली 'यू आर थ्री, वी आर आल्सो थ्री, हैव मर्सी आंन अस'। तुम भी तीन हो, हम भी तीन हैं, हम पर कृपा करो। महापुरोहित बोला यह भी कोई प्रार्थना है, मैं तुम्हें प्रार्थना बताता हूँ इसको याद करो और आज से यह प्रार्थना शुरू करो। पुरोहित ने उन्हें लम्बी प्रार्थना बताई तो उन फकीरों ने कहा की क्षमा करें हमें इतनी लम्बी प्रार्थना याद न रहेगी। महापुरोहित बोला यह प्रामाणिक प्रार्थना है यह संक्षिप नहीं की जा सकती। फकीरों ने कहा तो फिर एक बार फिर दोहरा दें ताकि हम याद कर सकें। महापुरोहित प्रार्थना दोबारा बता कर बड़ी प्रसन्नता के साथ नाव पर वापिस लौट पड़ा। आधी झील में पहुँचने पर उसने पीछे देखा की एक बवंडर सा पानी में उसकी और चला आ रहा है। वह घबरा गया। थोड़ी देर में उसे दिखाई दिया कि वे तीनों फ़कीर पानी पर दौड़ते चले आ रहे हैं। तीनों नाव के पास आकर पुरोहित के पाँव पकड़ कर बोले की वह प्रार्थना एक बार और दोहरा दें, हम भूल गए। हम पर कृपा करें हम बेपढ़े-लिखे लोग हैं। उस महापुरोहित ने कहा की क्षमा करो, तुम्हारी प्रार्थना काम कर रही है तुम अपनी प्रार्थना जारी रखो 'यू आर थ्री, वी आर आल्सो थ्री, हैव मर्से आंन अस।'