08 जून 2011

वृक्ष-वास्तु

वृक्षों को भगवान द्वारा प्रदत्त जीवनी शक्ति मानी गई है। यदि हमें कुछ मिनट वृक्षों से मिलने वाली ऑक्सीजन न मिले तो उसी क्षण विज्ञान की भौतिक उपलब्घियां हमारे लिए कुछ नहीं कर पाएंगी। वृक्षों को हम साक्षात् शिव मान सकते हैं। जिस प्रकार से समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पीकर सृष्टि की रक्षा की उसी प्रकार पेड़ प्रतिक्षण कॉब्ाüनडाइऑक्साइड रूपी जहर पीकर हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। अपना शरीर देकर हमारे लिए दैनिक उपयोग और भवन निर्माण के लिए फर्नीचर प्रदान करते हैं। आइए जानें वृक्ष वास्तु के नियम-

पौधारोपण उत्तरा,स्वाति,हस्त,रोहिणी एवं मूल नक्षत्रों में करना चाहिए। ऎसा करने पर रोपण निष्फल नहीं होता।
घर के पूर्व में बरगद, पश्चिम में पीपल, उत्तर में पाकड़ और दक्षिण में गूलर का वृक्ष शुभ होता है किंतु ये घर की सीमा में नहीं होना चाहिए।
घर के उत्तर एवं पूर्व क्षेत्र में कम ऊंचाई के पौधे लगाने चाहिए।
घर के दक्षिण एवं पश्चिम क्षेत्र में ऊंचे वृक्ष (नारियल,अ शोकादि) लगाने चाहिए। ये शुभ होते हैं।
जिस घर की सीमा में निगुण्डी का पौधा होता है वहां गृह कलह नहीं होता।
जिस घर में एक बिल्ब का वृक्ष लगा होता है उस घर में लक्ष्मी का वास बतलाया गया है।

जिस व्यक्ति को उत्तम संतान एवं सुख देने वाले पुत्र की कामना हो,उसे पलाश का पेड़ लगाना चाहिए। यह आवासीय घर की सीमा में नहीं होना चाहिए।
घर के द्वार और चौखट में भूलकर भी आम और बबूल की लकड़ी का उपयोग न करें।
कोई भी पौधा घर के मुख्य द्वार के सामने न रोपें। द्वार भेद होता है। इससे बच्चे का स्वास्थ्य खराब रहता है।
तुलसी का पौधा घर की सीमा में शुभ होता है।
बांस का पौधा रोपना अशुभ होता है।
वृक्षों की छाया प्रात: 9 बजे से दोपहर 3 बजे के मध्य भवन की छत पर नहीं पड़नी चाहिए।
जामुन और अमरूद को छोड़कर फलदार वृक्ष भवन की सीमा में नहीं होने चाहिए। इससे बच्चों का स्वास्थ्य खराब होता है।
वृक्ष के पत्ते, डंडे आदि को तोड़ने पर दूध निकलता हो तो इन्हें दूध वाले वृक्ष कहलाते हैं। ऎसे पेड़ स्थापित करने से धन हानि के योग बनते हैं। इनमें महुआ,बरगद,पीपल आदि प्रमुख हैं। केवड़ा,चंपा के पौधों को अपवाद माना गया है।

बैर,पाकड़,बबूल ,गूलर आदि कांटेदार पेड़ घर में दुश्मनी पैदा करते हैं। इनमें जति और गुलाब अपवाद हैं। घर में कैकट्स के पौधे नहीं लगाएं।