21 अप्रैल 2011

अनुशासन ही जीत है

मंगल और ब्रहस्पति के बीच स्थित एक छोटे से ग्रह का नाम मेरे नाम पर '(12599) सिंघल' रखा गया। यह पुरस्कार मैसाच्युस्टेट  इंस्टीटयूट आँफ टेक्नोलांजी (एमआईटी) की लिंकन लेबोरेट्री (अमेरिका) की तरफ से दिया गया। मुझे 14 साल की उम्र में सबसे कम उम्र का (भारत में) माइक्रोसाफ्ट सर्टिफाइड सिस्टम इंजीनियर (एमसीएसई) घोषित किया गया। इसके बाद सर्टिफाइड लोटस प्रोफेशनल (सीएलपी) और सर्टिफाइड लोटस स्पेशलिस्ट (सीएलएस) भी बना।

नुशासन : मेरी सफलता का सचमुच कोई रहस्या नहीं है। मैंने जीवन में सिर्फ दो चीजें मानीं-पहली जो सीमाएं हैं उसी में सपने साकार करून और दूसरी, उत्साह के साथ अनुशासन को निभाऊं।

क्ष्य : मैंने कम्प्यूटर के बारे में सुना था, लेकिन यह क्या बला है, जानता नहीं था। आठ साल की उम्र में एक महीने का बेसिक कम्प्यूटर कोर्स ज्वाइन किया। इसके तीन साल बाद एक दोस्त के घर जाना हुआ। उसका पीसी एडवांस था, उसकी मल्टीमीडिया कित ने मुझे अपनी और खींचा। पहली बार कम्प्यूटर पर गेम्स देखे। फिर गर्मियों की छुट्टियों में दूसरी बार एक इंस्टीटयूट जाना शुरू किया। मेरे मन में एक पीसी खरीदने की बात आई और इस सपने को पापा ने पूरा किया। अब मेरी बारी थी बस लक्ष्य तय किया और लग गया उसे पाने में।

क्स्ट्रा स्ट्रोक : बेहतर विकल्प के लिए समस्याओं से मुकाबला करना चाहिए। तभी आप में 'स्किल' आते हैं। परेशानियों से डरकर किसी दूसरे का सहारा लेने की आदत न पालें तो बेहतर हो।

मेरी जीत = अनुशासन + लक्ष्य
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अक्षत सिंघल, सिस्टम इंजीनियर