01 फ़रवरी 2011

दुश्मनी क्यों होती है?

यूं तो प्रत्येक व्यक्ति दूसरे से प्यार व दोस्ती करना चाहता है, परन्तु उसमें दुश्मनी की भावना आने में भी एक क्षण लगता है.

Management Expert के सामने यह एक अध्ययन का विषय है कि एक व्यक्ति दूसरे का दुश्मन क्यों बन जाता है. दुशमन होने का यहाँ तात्पर्य यह है कि एक व्यक्ति दूसरे से घृणा करता है और वह दूसरे को अपने मन, वचन और कर्म से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जबर्दस्त हानि पहुंचाने का मजबूत प्रयास एक रणनीति या आवेश के तहत करता है.

मैनेजमेंट विशेषज्ञों के अनुसार किसी दुश्मनी के पीछे वैसे तो अनगिनत कारणों का योगदान रहता है. परन्तु सबसे मुख्य कारण एक व्यक्ति द्वारा दूसरे के अहमको किसी तीसरे के सामने चोट पहुंचाना होता है. एक व्यक्ति की अतिमहत्वपूर्ण संपत्ति उसका अहम होता है. उसको बचाने के लिये एक समझदार व्यक्ति भी अजीबों गरीब हरकतें करने से बाज नहीं आता है.

कुछ वर्ष पहले, एक Executive को उसके पांच साल की शानदार सर्विस के बाद एकदम से कंपनी से बाहर निकाल दिया गया. उसने अपने परिवार को इसके बारे में कुछ नहीं बताया. हर सुबह वह रोज की तरह अपने घर से ऐसे तैयार होकर निकलता था जैसे कि वह आँफिस जा रहा है. उसके बाद वह अपना सारा दिन सिनेमा हाँल और यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी में निकालता था और शाम को थका हारा अपने घर पहुंचता था. इस तरह से दो-तीन महीने निकलने के बाद वह तो अच्छा हुआ कि उसकी पत्नी ने किसी कारणवश आँफिस फोन कर लिया और तब जाकर पूरी बात समझ में आई. उपरोक्त उदाहरण वास्तव में बहुत ट्रैजिक है, परन्तु यह इस बात को तो दर्शाता ही है कि एक व्यक्ति अपना Face loss बचाने के लिये किसी भी स्तर पर जाकर नाटक खेल सकता है.

इसी तरह के अन्य उदहारण में एक बेहद सुलझा हुआ, समझदार विनम्र आँफिसर एक सफेदपोश दरिन्दे के रूप में उभर कर आया. हुआ ये कि उसके नीचे कार्य करने वाला एक Executive के सामने रूटीन में बताई. इस पर उस एग्जीक्यूटिव को शाबासी मिली. उसको शाबासी देने में यह आँफिसर स्वयं भी था. परन्तु इस एपीसोड एक बाद यह आँफिसर उस Executive के पीछे अप्रत्यक्ष रूप से हाथ धोकर पड़ गया. अब वह उसका प्रतिदिन आने-जाने का रिकार्ड रखने लगा. छोटी-छोटी गलतियों पर उसको नोटिस इश्यू करने लगा. और कई मौकों पर उसकी पब्लिक में आलोचना भी करने लगा. उसको वार्षिक वेतन वृद्धि भी अधिक नहीं मिली. अंत में उसको त्यागपत्र देना पडा.

इसलिए मंत्र यही है कि जहाँ तक हो सके एक Executive को दूसरे का पब्लिक में अहम कम करने के जाने अनजाने प्रयासों से बचना चाहिए. उसको दूसरे तरीकों से अपने उद्देश्य हासिल करने चाहिए.

मंत्र:  किसी भी फील्ड में आप क्यों न हो? हमेशा जूनियर और सीनियर के अहम का ध्यान रखें.  

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