14 अगस्त 2010

नजर दोष ( Evil Eyes )

वैज्ञानिक आधार, लक्षण और निवारण


भारतीय समाज में नजर लगना और लगाना एक बहु प्रचलित शब्द है। लगभग प्रत्येक परिवार में नजर दोष निवारण के उपाय किये जाते हैं। घरेलु महिलाओं का मानना है कि बच्चों को नजर अधिक लगती है। बच्चा यदि दूध पीना बंद कर दे तो भी यही कहा जाता है कि भला चंगा था, अचानक नजर लग गई। लेकिन क्या नजर सिर्फ बच्चों को ही लगती है? नहीं। यदि ऐसा ही हो तो फिर लोग ऐसा क्यों कहते हैं कि मेरे काम धंधे को नजर लग गई। नया कपड़ा, जेवर आदि कट-फट जाएँ, तो भी यही कहा जाता है कि किसी की नजर लग गई।

लोग अक्सर पूछते हैं कि नजर लगती कैसे है? इसके लक्षण क्या हैं? नजर लगने पर उससे मुक्ति के क्या उपाय किये जाएँ? लोगों कि इसी जिज्ञासा को ध्यान में रखकर यहाँ नजर के लक्षण, कारण और निवारण के उपाय का विवरण प्रस्तुत है।

नजर के लक्षण
नजर से प्रभावित लोगों का कुछ भी करने को मन नहीं करता। वे बैचैन और बुझे-बुझे-से रहते हैं। बीमार नहीं होने के बावजूद शिथिल रहते हैं। उनके मानसिक स्थिति अजीब-सी रहती है, उसके मन में अजीब-अजीब से विचार रहते हैं। वे खाने के प्रति अनिच्छा जाहिर करते हैं। बच्चे प्रतिक्रया व्यक्त न कर पाने के कारण रोने रोने लगते हैं। कामकाजी लोग काम करना भूल जाते हैं और अनर्गल बातें सोचने लगे हैं। इस स्थिति से बचाव के लिये वे चिकित्सा भी करवाना नहीं चाहते। विद्यार्थियों का मन पढ़ाई से उचाट जाता है। नौकरीपेशा लोग सुनते कुछ हैं, करते कुछ और हैं।
इस प्रकार नजर दोष के अनेकानेक लक्षण हो सकते हैं।

नजर किसे लगती है?
नजर सभी प्राणियों, मानव निर्मित सभी चीजों आडू के लोग सकती है। नजर देवी देवताओं को भी लगती है। शास्त्रों में उल्लेख है कि भगवान् शिव और पार्वती के विवाह के समय सुनयना ने शिव की नजर उतारी थी।

कब लगती है नजर?
कोई व्यक्ति जब अपने सामने के किसी व्यक्ति अथवा उसकी किसी वास्तु को ईर्ष्यावश देखे और फिर देखता ही रह जाए, तो उसकी नजर उस व्यक्ति अथवा उसकी वास्तु को तुरंत लग जाती है। ऐसी नजर उतारने हेतु विशेष प्रत्यं करना पड़ता है अन्यथा निकसान की प्रबल हो जाती है।

नजर किस की लग सकती है?
किसी व्यक्ति विशेष को अपनी ही नजर लग सकती है। ऐसा तब होता है जब वह स्वयं ही अपने बारे में अच्छे या बुरे विचार्व्यक्त करता है अथवा बार-बार दर्पण देखता है। उससे ईर्ष्या करने वालों, उससे प्रेम करने वालों और उसके साथ काम करने वालों की नजर भी उसे लग सकती है। यहाँ तक की किसी अनजान व्यक्ति, किसी जानवर या किसी पक्षी की नजर भी उसे लग सकती है।

नजर की पहचान क्या है?
नजर से प्रभावित व्यक्ति की निचली पलक, जिस पर हलके रोएंदार बाल होते हैं, फूल सी जाती है। वास्तव में यही नजर की सही पहचान है। किन्तु, इसी सही पहचान कोई पारखी ही कर सकता है।

नजर दोष का वैज्ञानिक आधार क्या है?
कभी-कभी हमारे रोमकूप बंद हो जाते हैं। ऐसे में हमारा शरीर किसी भी बाहरी क्रिया को ग्रहण करने में स्वयं को असमर्थ पाता है। उसे हवा, सर्दी और गर्मी की अनुभूति नहीं हो पाती। रोमकूपों के बंद होने के फलस्वरूप व्यक्ति के शरीर का भीतरी तापमान भीतर में ही समाहित रहता है और बाहरी वातावरण का उस पर प्रभाव नहीं पड़ता, जिससे उसके शरीर में पांच तत्वों का संतुलन बिगड़ने लगता है और शरीर में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है। यही आयरन रोमकूपों से न निकलने के कारण आँखों से निकलने की चेष्टा करता है, जिसके फलस्वरूप आँखों की निचली पलक फूल या सूज जाती है। बंद रोमकूपों को खोलने के लिये अनेकानेक विधियों से उतारा किया जाता है।

संसार की प्रत्येक वास्तु में आकर्षण शक्ति होती है अर्थात प्रत्येक वातावरण से स्वयं कुछ न कुछ ग्रहण करती है। आमतौर पर नजर उतारने के लिये उन्हयें वस्तुओं का उपयोग किया जाता है, जिनी ग्रहण करने के क्षमता तीव्र होती है। उदहारण के लिये, किसी पात्र में सरसों का तेल भरकर उसे खुला छोड़ दें, तो पायेंगे कि वातावरण के साफ़ व स्वच्छ होने के बावजूद उस तेल पर अनेकानेक छोटे-छोटे कण चिपक जाते हैं। ये कण तेल की आकर्षण शक्ति से प्रभावित होकर चिपकते हैं।

तेल की तरह ही नीबू, लाल मिर्च, कपूर, फिटकरी, मोर के पंख, बूंदी के लड्डू तथा ऐसी अन्य अनेकानेक वस्तुओं की अपनी-अपनी आकर्षण शक्ति होती है, जिनका प्रयोग नजर उतारने में किया जाता है।
इस तरह उक्त तथ्य से स्पष्ट हो जात है कि नजर का अपना वैज्ञानिक आधार है।

उतारा : उतारा शब्द का तात्पर्य व्यक्ति विशेष पर हावी बुरी हवा अथवा बुरी आत्मा, नजर आदि के प्रभाव को उतारने से है। उतारे आमतौर पर मिठाइयों द्वारा किये जाते हैं, क्योंकि मिठाइयों की और यह शीघ्र आकर्षित होते हैं।

उतारा करने की विधि :
उतारे की वास्तु सीधे हाथ में लेकर नजर दोष से पीड़ित व्यक्ति के सिर से पैर की और साथ अथवा ग्यारह बार घुमाई जाती है। इससे वह बुरी आत्मा उस वास्तु में आ जाती है। उतार के क्रिया करने के बात वह वास्तु किसी चौराहे, निर्जन स्थान या पीपल के नीचे रख दी जाती है और व्यक्ति ठीक हो जाता है।

किस दिन किस मिठाई से उतारा करना चाहिए, इसका विवरण यहाँ प्रस्तुत है।
रविवार को तबक अथवा सूखे फलयुक्त बर्फी से उतारा करना चाहिए। सोमवार को बर्फी से उतारा कर लड्डू कुत्ते को खिला दें। बुधवार को इमरती से उतारा करें व उसे कुत्ते को खिला दें। गुरूवार को सायं काल एक दोने में अथवा कागज़ पर पांच मिठाइयां रखकर उतारा करें। उतारे के बाद उसमें छोटी इलाइची रखें व धूपबत्ती जलाकर किसी पीपल के वृक्ष के नीचे पश्चिम दिशा में रखकर घर वापस जाएँ। ध्यान रहे, वापस जाते समय पीछे मुकदर न देखें और घर आकर हाथ और पैर धोकर व कुल्ला करके ही अन्य कार्य करें। शुक्रवार को मोती चूर के लड्डू से उतारा कर लड्डू कुत्ते को खिला दें या किसी चौराहे पर रख दें। शनिवार को उतारा करना हो तो इमरती या बूंदी का लड्डू प्रयोग में लायें व उतारे के बाद उसे कुत्ते को खिला दें।
इसके अतिरिक्त रविवार को सहदेई की जड़, तुलसी के आठ पत्ते और आठ काली मिढ़क किसी कपडे में बांधकर काले धागे से गले में बाँधने से उपरी हवाएं सताना बंद कर देती हैं।

नजर उतारने अथवा उतारा आदि करने के लिये कपूर, बूंदी का लड्डू, इमरती, बर्फी, कडवे तेल की रूई की बाती, जायफल , उबले चावल, बूरा, राई, नमक, काली सरसों, पीली सरसों मेहँदी, काले तिल, सिन्दूर, रोली, हनुमान जी को चढ़ाए जाने वाले सिन्दूर, नींबू उबले अंडे, दही, फल, फूल, मिठाइयों, लाल मिर्च, झाड़ू, मोर चाल, लौंग, नीम के पत्तों की धूनी आदि का प्रयोग किया जाता है।

स्थायी व दीर्घकालीन लाभ के लिये संध्या के समय गायत्री मंत्र का जप और जप के दशांश का हवं करना चाहिए। हनुमान जी की नियमित रूप से उपासना, भगवान् शिव की उपासना व उनके मूल मंत्र का जप, महामृत्युंजय मंत्र का जप, माँ दुर्गा और माँ काली की उपासना करें। स्नान के पश्चात तांबे के लोटे से सूर्य को जल का अर्ध्य दें। पूर्णमासी को सत्यनारायण की कथा स्वयं करें अथवा किसी कर्मकांडी ब्रह्मण से सुनें। संध्या के समय घर में दीपक जलायें, प्रतिदिन गंगाजल छिडकें और नियमित रूप से गूगल की धूनी दें। प्रतिदिन शुद्ध आसन पर बैठकर सुन्दरकाण्ड का पाठ करें। किसी के द्वारा दिया गया सेव व केला न खाएं। रात्रि बारह से चार बजे के बीच कभी स्नान न करें।

बीमारी से मुक्ति के लिये नीबू से उतारा करके उसमें एक सुए आर-पार चुभो कर पूजा स्थल पर रख दें और सूखने पर फेंक दें। यदि रोग फिर भी दूर न हो, तो रोगों की चारपाई से एक बाण निकालकर रोगी के सिर से पैर तक छुआते हुए उसे सरसों के तेल में अच्छी तरह भिगोकर बराबर कर लें व लटकाकर जला दें और फिर राख पानी में बहा दें।

उतारा आदि करने के पश्चात भलीभांति कुल्ला अवश्य करें।

इस तरह, किसी व्यक्ति पर पड़ने वाली किसी अन्य व्यक्ति की नजर उसके जीवन को तबाह कर सकती है। नजर दोष का उक्त लक्षण दिखते ही ऊपर वर्णित सरल व सहज उपायों के प्रयोग कर उसे दोषमुक्त किया जा सकता है।