25 जुलाई 2010

ससुराल गेंदा फूल ( Laws marigold flowers )


विवाह के बाद लड़की जहाँ हजार सपने संजोय, नए जीवन की शुरुआत करती है, वहीँ कई प्रकार के रिश्तों से वह जुड़ जाती है, क्योंकि विवाह केवल को व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो परिवारों, दो सभ्यताओं व दो विचारधाराओं का भी होता है, जिसको निभाना हर लड़की का कर्त्तव्य होता है, क्योंकि ससुराल पक्ष के सपने नए-नवेली दुल्हन से जुड़े होते हैं, पर ऐसे में बहू द्वारा अनजाने में हुई एक छोटी-सी चूक घर में कलह का कारण बन जाती है, इसलिए वधु को चाहिए की ससुराल में सोच-समझकर ही कोई कदम उठाए, सिर्फ पति को ही नहीं, बल्कि परिवारवालों को भी अपनाए।

कैसे बैठाएं सामंजस्य
एक लड़की को विवाह के बाद पत्नी बनने के अलावा बहू, भाभी, देवरानी व चाची का सम्बन्ध भी निभाना पड़ता है। ऐसे नहीं की यह सम्बन्ध सिर्फ बहू की तरह से ही बनाते हैं, बल्कि दोनों तरफ से भी बताते हैं। जब लड़की नए घर में प्रवेश करती है तो उसे इन संबंधों को पूरा आदर मान देना चाहिए। ससुराल के सभी रिश्तेदारों को समझना चाहिए और फिर उनकी उम्मीदों को पहचानना चाहिए। इसके अलावा बहुत जरूरी है की वह कुछ बातों का ख़ास खाया रखे, जो विवाह के बाद नए घर जाने वाली हर लड़की के लिये एक से होते हैं। क्या है आइए जानें-

बहू और सास का सम्बन्ध
कहते हैं की यदि बहू अपनी सासू मां को खुश रख पाती है तो निश्चय ही यह उसकी बड़ी जीत होती है। आज के समय में आधुनिक सास आधुनिक बहू की कल्पना रखती है, मतलब वह एक सुघड़ बहू चाहती है, जो पढ़ी-लिखी व आधुनिक होने के साथ-साथ पारंपरिक भी हो। पर कुछ सासें ऐसी भी होती हैं, जिनके लिये बहू चाहे अपनी आदतें बदले, इच्छाएं बदले लेकिन वे मीनमेख निकाले बिना नहीं रह सकती हैं।

कैसे बनाएं मधुर सम्बन्ध
मनोवैज्ञानिक प्रांजलि मल्होत्रा का कहना है की हर रिश्ते के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी आपसी व्यवहार व संवेदना है, इसलिए सासू माँ का दिल जीतने के लिये उनका विश्वास जीतना बहुत जरूरी है। एक बहू के रूप में उसको चाहिए की सास की भावनाओं का सम्मान करे, उसके प्यार भरे व्यवहार में अपनेपन की झलक पाए और उन्हें माँ मानते हैं, पर कई बार बहू का व्यवहार इतना गलत होता है की ससुर के अरमानों पर पानी फिर जाता है, जिससे रिश्ते में कडवाहट आ जाती है।

बहू और ससुर का सम्बन्ध
ससुराल में बहू के सम्मान का मुख्य केंद्र बिंदु ससुर होते हैं, क्योंकि सारे निर्णय, अधिकार और घर के सारे नियम-क़ानून ससुर के हाथ में ही होता है। इसलिए बहू का कर्त्तव्य बनता है की वह ससुर का पूरा ध्यान रखे। पहले की उपेक्षा आज ससुर और बहू के संबंधों में काफी बदलाव आया है, कल तक जो ससुर घर में प्रवेश करते समय खांस कर आते थे, अब वह बहू का नाम लेकर पुकारते हैं। आज तो वाहू और बेटी के बीच में फर्क नहीं समझते, बल्कि अपनी बहू को बेटी की तरह मानते हैं, पर कई बार बहू का व्यवहार इतना गलत होता है की ससुर के अरमानों पर पानी फिर जाता है, जिससे रिश्ते में कडवाहट आ जाती है।

कैसे बनाएं मधुर सम्बन्ध
हर बहू का दायित्व है की वह अपने ससुर से मीठा बोले व पलट कर कभी भी जवाब न दे। नपे-तुले शब्दों में अपनी बात को उनके आगे प्रकट करे, उन्हें पिता की तरह उचित मां-सम्मान दे, ताकि ससुर के मन में जगह बना सके। सास अथवा पति की शिकायत ससुर से न करे, जब भी समय मिले उनको पर्याप्त समय दे, उनकी दिनचर्या संबंधी आदतों तथा पसंद-नापसंद का ध्यान रखे, बर्थडे व मैरिज एनीवर्सरी पर कोई गिफ्ट जरूर दे। ससुर की इच्छा के विरूद्ध  कोई भी कार्य न करे। अगर ससुर के मुंह से मायके पक्ष के लिये भूल से अपशब्द निकल जाए तो उनको तुरंत जवाब न दें, बल्कि शांत स्वभाव से कारण पूछें।

भाभी और ननद का सम्बन्ध
ससुराल में जिस तरह से सास की अत्यंत अहम् भूमिका होती है, उस महत्वपूर्ण रिश्ते से एक अति महत्वपूर्ण रिश्ता होता ननद का। ननद किसी भी परिवार का ऐसा अभिन्न अंग होती है, जो परिवार में लोगों को जोड़ने अथवा तोड़ने का कार्य करती है। यदि किसी भाभी ने अपनी ननद का दिल जीत लियी तो समझो ससुराल में आधी बाजी मार ली, क्योंकि ननद विवाहित हो अथवा अविवाहित हर दृष्टि से उसका परिवार में एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। ननद एक प्रकार से बहू व सास के बीच की कड़ी होती है। इसलिए हर भाभी का कर्त्तव्य होता है की वह ननद को पूरी तरह से खुश रखने का प्रयास करे।

कैसे बनाए मधुर सम्बन्ध
नई नवेली बहू को अपनी ननद को बहन के समान समझना चाहिए और उसी प्रकार व्यवहार करना चाहिए। सास व पति से ननद की बुराई नहीं करें। कहीं बाहर जा रही हैं तो ननद को साथ जरूर साथ ले जाएं। जब भी खाली समय मिले ननद के साथ बैठकर बातें करें, ताकि ननद की आदतों व इच्छाओं से भली-भांति परिचित हो सकें और उसके अनुसार ही अपना व्यवहार संतुलित रखें। यदि आपको लगे की आपकी ननद बहुत ज्यादा फैशनेबल है तो उसे कुछ उसकी पसंद की चीजें उपहार में दें। उसके दोस्तों के आने पर उसकी तहेदिल से खातिरदारी करें।

भाभी और देवर सम्बन्ध
देवर भाभी का बेहत स्नेहिल रिश्ता होता है, जिसमें छेड़छाड़, माजाक होना आम बात है। भाभी मजाक में देवर से अथवा देवा भाभी से हंसी-मजाक में कुछ कह दे या खिंचाई कर दे, परिवार में बुरा नहीं माना जाता। पर जब यह छेड़छाड़ बढ़ने लगती है तो घर वालों को अखरने लगती है। ऐसे में पति को अपने भाए पर क्रोध आता है और बिना बात पत्नी पर गुस्सा उतारता है।

कैसे बनाएं मधुर सम्बन्ध
असल में देवर भाभी के लिये छोटे भाई के समान होता है, इसलिए भाभी को चाहिए की वह अपने देवर से संयमित व्यवहार रखे। उससे हंसी-मजाक करे, लेकिन सीमित दायरे में रहकर। इस बात का ख़ास ध्यान रखे की अगर परिवार वालों को अच्छा नहीं लगता है, तो ज्यादा बात न करें। देवर के अकेले में ज्यादा हंसी-मजाक न करें। कहने का तात्पर्य यही है की देवर भाभी के रिश्ते की गरिमा तभी बनी रह सकती है, जब दोनों एक-दूसरे का समान करे। साथ ही खुले दिल से एक-दूसरे से हंसी-मजाक करे।

जेठानी-देवरानी का सम्बन्ध
अक्सर देखने में आता है की जेठानी व देवरानी के रिश्ते में तकरार होती रहती है। उनमें आपसी प्यार के स्थान पर ईर्ष्या व भीतरी तनाव बना रहता है। अक्सर देखने में आता है की जब संयुक्त परिवार होता है और देवरानी जेठानी एक ही घर में रहती हैं तो उनमें शुरू में खूब प्यार बना रहता है, परन्तु समय बीतने के साथ-साथ उनमें प्यार के स्थान पर प्रतिस्पर्धा व द्वेष की भावना पनपती जाती है।

कैसे बनाएं मधुर सम्बन्ध
देवरानी-जेठानी को आपस में प्रेम बनाए रखना चाहिए, जेठानी को सदैव देवरानी को छोटी बहन के समान समझना चाहिए। यदि किसी बात पर देवरानी को बुरा लगे या क्रोध आ जाए तो जेठानी को इसे अपनी बेइज्जती न समझकर देवरानी को माफ़ कर देना चाहिए। इसी प्रकार देवरानी को भी नरम व्यवहार अपनाना चाहिए। आपसी छोटी-मोती बातों पर बहस से बचना चाहिए। एक-दूसरे की इच्छाओं व आवश्यकताओं का ध्यान रखना चाहिए। घरेलू कार्यों में झगड़ों से बचना चाहिए। घर के सभी कार्यों में एक-दूसरे को पूर्ण सहयोग देना चाहिए।

बहू और जेठ का सम्बन्ध
ससुराल में जेठ की अपनी अलग भूमिका होती है, घर में बड़े होने के कारण उसका सम्मान करना बहू का फर्ज होता है। इसलिए यह रिश्ता बहुत नाजुक होता है, क्योंकि यह दो भाइयों का रिश्ता होता है। यदि भाई-भाई में अनबन रहती है, तो पत्नी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। यदि पत्नी सुघड़ विचारों वाली है तो भाइयों में सुलह भी करा सकती है और घर में शांति बनाए रख सकती है।

कैसे बनाएं मधुर सम्बन्ध
अगर दो भाई शादीशुदा हैं तो दोनों पत्नियों को चाहिए की आपसी इर्ष्या न रखें। एक दूसरे की स्थिति को समझते हुए एक-दूसरे से सहयोग करें व आपस में लड़ाई न करें। हर पत्नी का कर्तव्य है की वह पति का साथ दे, लेकिन उसका मतलब यह नहीं की वह पति को भाई के विरुद्ध उकसाए। पति के गलत निर्णय लेने पर पत्नी को उसे समझाना चाहिए। एक-दूसरे से इर्ष्य के स्थान पर पत्नियां प्रेम की  भावना जगाएं, क्योंकि प्रेम व सद्भाव से बड़ा सुख संसार में कोई नहीं है।

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