22 जून 2010

लड़के-लड़कियों को सेक्स एजुकेशन अलग-अलग

सेक्स एजुकेशन के बाबत जानकारी देने के लिए को-एजुकेशनल स्कूलों में जल्द ही लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग क्लास होगी। यह क्लास हफ्ते में एक बार 30 मिनट की होगी।

छात्रों को मेल टीचर और छात्राओं को फीमेल टीचर सेक्स एजुकेशन के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। क्लास में स्टूडंट्स को यह बताया जाएगा कि सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इनफेक्शन (एसटीआई) क्या होता है, इसके लक्षण क्या होते हैं, एचआईवी कैसे फैलता है, क्या एचआईवी से बचने के लिए संयम एक बेहतर विकल्प है, इस खतरनाक बीमारी से बचने के लिए क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए।

उल्लेखनीय है कि देश की पहली आधिकारिक सेक्स एजुकेशन मैनुअल में इस बीमारी की रोकथाम के बाबत कुछ अहम सुझाव दिए गए हैं। इन सुझावों पर लोग अगस्त तक अपनी राय दे सकते हैं। उम्मीद है कि इस मैनुअल (नियमावली) को अक्टूबर तक अंतिम रूप दे दिया जाएगा।

बहरहाल, टीचरों से कहा गया है कि वे स्टूडंट्स से कुछ नई बीमारियों के नाम पूछें। जब स्टूडंट एचआईवी/एड्स का जिक्र करेंगे तभी टीचर इस बीमारी के बारे में चर्चा शुरू करेंगे। इस दौरान टीचर यह बताएंगे कि किस तरह से वायरस की उत्पत्ति होती है, महिलाओं और बच्चों को प्रभावित होने का ज्यादा खतरा क्यों रहता है और किस तरह से यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंचता है।

ऐसा भी हो सकता है कि जब क्लास में इतने अहम विषय पर टीचर जानकारी दे रहे हों तब बच्चे इसे हंसकर टाल दें अथवा इसे गंभीरता से न लें। लेकिन, टीचर की बातों पर ध्यान देना ही बेहतर है क्योंकि मैनुअल के मुताबिक, टीचरों को हिदायत दी गई है कि क्लास समाप्त होने के बाद वे स्टूडंट्स से सवाल करें ताकि जो जानकारी उन्हें दी गई वह बेकार न जाए।