11 मई 2010

मन को जीतना मुश्किल है, नामुमकिन नहीं

मन को जीतना मुश्किल है, नामुमकिन नहीं मन, हमारे शरीर का सबसे चंचल हिस्सा। मन को साधने या उसे जीतने में कई लोगों को बरसों लग जाते हैं। युवा पीढ़ी के साथ यह समस्या सबसे आम है कि उनका मन कभी एक जगह नहीं टिकता। पढ़ाई, खेल, नौकरी या निजी जीवन, हर जगह युवा वैसे ही चलता है, व्यवहार करता है, जैसा मन कहे। जब तक मन लगा काम किया, नहीं तो छोड़ दिया। मन के मुताबिक चलना युवाओं का स्वभाव हो गया है। बस, यहीं से शुरू होती है असफलता और अशांति की कहानी। पूरे समय भागदौड़, ढेर सारा धन कमाने के बाद भी हम जीवन के किसी हिस्से में असफल और अशांत ही रहते हैं। मन को साधना एक बड़ी चुनौती है। अब प्रश्न है, मन को कैसे जीता जाए। दरअसल यह एक दिन का कार्य नहीं है, बल्कि निरंतर किया जाने वाला अभ्यास है। मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं। जीवन में अगर स्थायी शांति और सुख की इच्छा हो तो मन को साधना ही पड़ेगा। मन को साधने का एक सबसे बड़ा फायदा है कि यह हमें एक रास्ते पर ले जाएगा, भटकाएगा नहीं। मन को जीतने के लिए हमें अपने भीतर खुद से ही लडऩा पड़ता है, जो तकलीफ तो देता ही है, हमारे सामने कई बार विचित्र स्थितियां भी पैदा कर देता है। मन को साधने का सबसे आसान तरीका है, ध्यान। सुबह थोड़ी देर ध्यान करें, मन को एकाग्र करने का प्रयास करें। शुरुआत में थोड़ी परेशानी होगी लेकिन इसके परिणाम भी दिखाई देंगे। जब भी किसी काम में मन नहीं लगे तो एक प्रयोग किया जा सकता है। जैसे ही आपका मन किसी काम से हटने को करे लेकिन वह पूरा होना भी जरूरी हो तो बस दो मिनट के लिए आंखें बंद करके उसी जगह बैठ जाएं। अपने कैरियर या महत्वाकांक्षा से जुड़ी किसी वस्तु की तस्वीर देखने की कोशिश करें। आप पाएंगे, मन फिर उसी काम में लग जाएगा। कुछ दिन यह प्रयोग किया तो फिर मन पर विजय मिलना तय है।