08 मई 2010

देवी सरस्वती का वाहन हंस ही क्यों

देवी सरस्वती का वाहन हंस धर्म शास्त्रों में देवी सरस्वती को सृष्टि रचयिता ब्रह्मा की मानस पुत्री माना गया है। देवी सरस्वती सद्ज्ञान की देवी हैं। जिसे भी पवित्र सद्ज्ञान प्राप्त हो गया समझो कि उस सौभाग्यशाली पर माता सरस्वती की कृपा हो गई। देवी सरस्वती के चित्रों में हम देखते हैं कि उनके हाथ में ज्ञान के प्रतीक वेद शोभित हैं। सौन्दर्य का प्रतीक पुष्प, संगीत रस का प्रतीक सितार भी उनके स्वरूप की शोभा बढ़ाते हैं। देवी के स्वरूप में सबसे महत्वपूर्ण है उनका वाहन हंस। माता सरस्वती ज्ञान की देवी यानि ज्ञान की साक्षात विग्रह ही हैं।

हंस को वाहन के रूप में चुनने के पीछे गहरे अर्थ छुपे हैं। हंस के विषय में ऐसी मान्यता है कि वह नीर क्षीर विवेक से सम्पंन है। मतलब कि आप दूध और पानी को मिलाकर उसके सामने रखें तो वह उसमें से दूध को पी लेगा और पानी को छोड़ देगा। मतलब यह कि हंस विवेक यानि सद्ज्ञान से संपन्न होने के कारण ही देवी सरस्वती द्वारा चुना जाता है। यदि हम चाहें कि ज्ञान की देवी सरस्वती सदैव हमपर सवार रहें तो हमे भी हंस की तरह ही विवेक यानि सद्बुद्धि को स्वयं में जाग्रत करना होगा।

1 टिप्पणी:

  1. जैसे अच्छा तैराक तैरता नहीं तिर जाता है;वैसे ही,ज्ञान प्राप्ति से जीवन प्रवाह सुगम हो जाता है। हंस इसी का प्रतीक है।

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