06 मई 2010

अनोखे देवता कामदेव और उनकी सवारी

हिन्दु धर्म जितना व्यापक एवं विस्तृत है उतनी ही उसमें गहराई भी है। यहां सूक्ष्म मानवीय भावों को भी साकार बनाते हुए ,उन्हें उनकी शक्ति के अनुसार देवता का रूप प्रदान किया गया है। मानव जीवन के प्रमुख भाव प्रेम, दया, श्रृद्धा, काम आदि की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए इन्हैं देवता का रूप प्रदान किया गया है। ऐसे ही एक देवता हैं कामदेव । कामदेव को हिंदू शास्त्रों में प्रेम और काम का देवता माना गया है। देवता इसलिये क्योंकि काम रूपी भाव एक ऐसा भाव है जो इंसानी जिंदगी में बड़ा महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह इंसान को उसकी पात्रता के हिसाब से प्रगति या पतन के मार्ग पर ले जाता है। उनका स्वरूप युवा और आकर्षक है। वे विवाहित हैं और रति उनकी पत्नी हैं। वे इतने शक्तिशाली हैं कि उनके लिए किसी प्रकार के कवच की कल्पना नहीं की गई है। उनके अन्य नामों में रागवृंत, अनंग, कंदर्प, मनमथ, मनसिजा, मदन, रतिकांत, पुष्पवान, पुष्पधंव आदि प्रसिद्ध हैं। कामदेव, हिंदू देवी श्री के पुत्र और कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न, का अवतार हैं। कामदेव के आध्यात्मिक रूप को हिंदू धर्म में वैष्णव अनुयायियों द्वारा कृष्ण भी माना जाता है। कामदेव की सवारी: हाथी को कामदेव का वाहन माना गया है। वैसे कुछ पुस्तकों में कामदेव को तोते पर बैठे हुए भी बताया गया है, लेकिन अधिक मान्यता हाथी को लेकर ही है। प्रकृति में हाथी ही एक ऐसा प्राणी है जो दशों दिशाओं में स्वतंत्र होकर घूमता है। अपनी मदमस्त चाल से चलने वाला हाथी तीन दिशाओं में देख सकता है, और पीछे की तरफ हल्की सी भी आहट आने पर संभल सकता है। हाथी कानों से हर तरफ का सुन सकता है और अपनी सूंड से चारों दिशाओं में वार कर सकता है। इन सभी गुणों से सम्पंन होने के कारण ही हाथी को कामदेव के वाहन के रूप में चुना गया है। ठीक इसी प्रकार कामदेव का चरित्र भी देखने में आता है। ये स्वच्छंद रूप से चारों दिशाओं में घूमते हैं।

1 टिप्पणी:

  1. बहुत अच्‍छा लिखा है।

    आपकी रूचि भारतीय संस्‍कृति के प्रति दृढ हो यही शुभकामनाएं।।

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