20 अप्रैल 2010

शालीनता से जीतें सबका मन

ऑफिस में काम करते हुए हमारे समक्ष कई बार ऐसे वाकये पेश आते हैं, जहां हमें मुश्किलों से पार पाने के लिए वाकचातुर्य और शालीन प्रस्तुति का सहारा लेना पड़ता है। सामने वाले के साथ सलीके से पेश आना आज की बड़ी जरूरत बन चुकी है। यह विरोधियों को साधने की भी अचूक कला है। वैश्वीकरण के इस दौर में खुद को सलीके से पेश करना बेहद जरूरी हो गया है।

आखिरकार बात हमारे अलावा कंपनी की भी प्रतिष्ठा से जुड़ी होती है। वैसे तो हर कार्यस्थल के एटीकेट्स होते हैं, लेकिन सेवा कार्यो से जुड़े क्षेत्रों में इन्हें सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। यही नहीं व्यक्ति के शालीन व्यवहार के आधार पर संस्थान विशेष का मूल्यांकन भी किया जाता है। काम करने के स्थान के माहौल को खुशनुमा बनाने के लिए पेश हैं कुछ टिप्स..

नए कर्मी को खुले दिल से स्वीकारें
ऑफिस में समस्त जूनियर व सीनियर कर्मचारियों को नए आने वाले कर्मचारी का खुले दिल से स्वागत करना चाहिए।

नए सहयोगी के ज्वॉइन करते ही उसे कार्य की प्रकृति और कंपनी के तौर-तरीके व मूल्यों की जानकारी दे दी जाए, ताकि बाद में किसी तरह की संशय की स्थिति न रहे।

ऑफिस के नए सहयोगी का शीर्ष पद पर बैठे सीईओ से लेकर निचले क्रम में प्यून तक सभी कर्मचारियों से परिचय करवाएं। इससे वह सभी लोगों के साथ अच्छी तरह पेश आ सकेगा।

नए सहयोगी से सार्वजनिक स्थलों पर निजी प्रश्न मसलन शैक्षणिक व वैवाहिक स्थिति तथा वेतन के बारे में पूछना ठीक नहीं माना जाता।

नए सहयोगी के नाम का गलत उच्चारण करने से परहेज करें। यदि अनजाने में ऐसी भूल हो जाए, तो क्षमा मांगने में नहीं हिचकें।

किसी सहयोगी को उसके शुरुआती नाम से संबोधित करने का आशय यह है कि आप उससे वरिष्ठ या उसके समकक्ष हैं। बेहतर यही होगा कि अपने से वरिष्ठ कर्मचारियों के लिए सम्मानसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उनके सरनेम से संबोधित करें।

आत्मीयता बढ़ाने के गुर
अपने साथी कर्मचारी को छोटी से छोटी सफलता पर भी गर्मजोशी से बधाई दें।
कई बार आपकी मुस्कान अलग ही असर दिखाती है। किसी काम में दिए गए सहयोग के लिए रिसेप्शनिस्ट और ऑफिस बॉय को भी सहर्ष धन्यवाद देना न भूलें।

अच्छे बॉस, कर्मचारी और सहयोगी हमेशा सलीके से बात करते हैं। बोलचाल में ‘प्लीज’ और ‘थैंक्स’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल जरूर करें।

यह ध्यान रखें कि ऑफिस में सहयोगियों से सिर्फ काम के सिलसिले में ही बात न हो। समय-समय पर उनके व उनके परिजनों के हाल-चाल पूछते रहें। इससे संस्थान में दोस्ताना माहौल बनाए रखने में मदद मिलती है।

सेल्फ-हेल्प
ऑफिस में अलग-अलग प्रकृति के लोग काम करते हैं। इनमें से कुछ आपके विरोधी हो सकते हैं तो कुछ सहयोगी भी। हमें इन सभी के साथ मिलकर चलने की जरूरत होती है।