20 अप्रैल 2010

आर्किटेक्चर-सुदृढ़ भविष्य का आधार

आर्किटेक्चर बेहद चुनौतीपूर्ण और बहुआयामी पेशा है, जिसमें एक साथ कई काम शामिल होते हैं। यह डिजाइनिंग के साथ-साथ इंजीनियरिंग प्रोग्राम का भी क्षेत्र है।

क्या कोई आलीशान इमारत, मॉल या इसकी डिजाइन आपकी आखों में बस गई है? क्या आपको लगता है कि आप भी इस तरह के मॉल्स, इमारतों, आवास कालोनियों, बांध-पुल इत्यादि को डिजाइन कर सकते हैं? यदि हां, तो फिर आर्किटेक्चर का क्षेत्र आपके लिए सर्वथा उपयुक्त है।
यह क्षेत्र व्यक्ति को अपना सृजनात्मक कौशल दिखाने का मंच प्रदान करता है। यह अध्ययन का ऐसा क्षेत्र है जो इमारतों व अन्य ढांचों के बीच के स्पेस को ध्यान में रखते हुए इसकी समुचित जाइनिंग व प्लानिंग से जुड़ा है। आर्किटेक्चर बेहद चुनौतीपूर्ण और बहुआयामी पेशा है, जिसमें एक साथ कई काम शामिल होते हैं।
आर्किटेक्ट्स के लिए प्राइवेट व पब्लिक सेक्टर में रोजगार पाने की काफी संभावनाएं हैं। यदि आप चाहें तो इंजीनियरिंग व आर्किटेक्चर कॉलेजों में अध्यापन का विकल्प भी अपना सकते हैं।
आज देश में ज्यादातर अधोसंरचना संबंधी प्रोजेक्ट्स पर काम आर्किटेक्ट से सलाह के बाद ही शुरू होता है। यही वजह है कि इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं।

उभरता क्षेत्र
देश में पिछले कुछ समय से रीयल सेक्टर में उछाल देखा जा रहा है। पूरे देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की बड़ी-बड़ी परियोजनाएं इस समय चल रही हैं। इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि इस क्षेत्र से जुड़े प्रोफेशनल्स के लिए रोजगार की काफी संभावनाएं हैं। किसी भी भौतिक ढांचे के निर्माण में आर्किटेक्ट्स उपलब्ध जगह का प्रभावी इस्तेमाल करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह डिजाइनिंग के साथ-साथ इंजीनियरिंग प्रोग्राम का भी क्षेत्र है। आज ज्यादातर इमारतें, बांध और कोई भी अधोसंरचना संबंधी परियोजना पर निर्माण कार्य आर्किटेक्ट से सलाह के बाद ही शुरू होता है।

कौन-कौन से कोर्स
इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने के इच्छुक छात्र दसवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कर सकते हैं। देश के अलग-अलग राज्यों में स्थित पॉलीटेक्निक संस्थान, नई दिल्ली स्थित कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री डेवलपमेंट काउंसिल समेत ऐसे और भी कई संस्थान हैं जो सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कोर्स करवाते हैं।

डिप्लोमाधारी युवा पब्लिक व प्राइवेट सेक्टर में जूनियर इंजीनियर की जॉब के लिए आवेदन कर सकते हैं। आर्किटेक्चरल डिजाइनिंग में अन्य लोकप्रिय कोर्स हैं, बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर (बीआर्क), एम आर्क तथा सिविल इंजीनियरिंग में बीई या बीटेक डिग्री। बीआर्क में दाखिले के लिए अभ्यर्थी का किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से साइंस (फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथ्स) विषय में न्यूनतम 50 फीसदी अंकों के साथ बारहवीं या इसके समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है।

इसमें चयन अमूमन आईआईटीजेईई, एआईईईई जैसी प्रवेश परीक्षाओं के माध्यम से होता है। हालांकि प्रत्येक राज्य अपने यहां शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए अलग से प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करते हैं, वहीं निजी इंजीनियरिंग कॉलेज भी अपने स्तर पर एंट्रेस टेस्ट आयोजित करते हैं अथवा आईआईटीजेईई या एआईईईई स्कोर्स को दाखिला देते हैं।

पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर छात्र चाहें तो एमई या एमटेक कर सकते हैं। देश के कई इंजीनियरिंग कॉलेज व विश्वविद्यालयों में यह कोर्स उपलब्ध हैं। स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर में छात्र आर्किटेक्चर के बैचलर, मास्टर या डॉक्टोरल कोर्स को कर सकते हैं।

इसके अलावा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स की एसोसिएट मेंबरशिप के लिए एएमआईई नामक एक एग्जाम भी होता है, जो कामकाजी प्रोफेशनल्स या डिप्लोमाधारी को दूरस्थ शिक्षा के लिए इंजीनियरिंग की बैचलर डिग्री हासिल करने की सुविधा देता है। छात्र चाहें तो खास तरह के ढांचों या इमारतों मसलन अस्पताल, शॉपिंग मॉल, आवासीय कॉलोनी, स्कूल, कॉलेज, होटल आदि की डिजाइनिंग में विशेषज्ञता भी हासिल कर सकते हैं।

व्यक्तिगत योग्यता
सफल आर्किटेक्ट बनने के लिए आपमें डिजाइनिंग की प्रतिभा होनी चाहिए। साथ ही आपको इसकी तकनीकी व व्यावसायिक पहलुओं का भी ज्ञान होना आवश्यक है। इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने के इच्छुक युवाओं में बेहतर संप्रेषण कौशल, गहन अवलोकन, सृजनात्मकता और विचारों को मूर्तरूप देने की क्षमता होनी चाहिए। इसके अलावा 2-डी व 3-डी खाका तैयार करने तथा वित्तीय प्रबंधन का ज्ञान होना भी आवश्यक है।

संभावनाएं
आर्किटेक्ट्स के लिए प्राइवेट व पब्लिक सेक्टर में रोजगार पाने की काफी संभावनाएं हैं। पब्लिक सेक्टर की बात करें तो लोक निर्माण, सिंचाई, स्वास्थ्य जैसे विभागों में आर्किटेक्ट की मांग लगातार बनी हुई है। यदि कोई आर्किटेक्ट को पेशे के तौर पर नहीं अपनाना चाहता, तो वह इंजीनियरिंग व आर्किटेक्चर कॉलेजों में अध्यापन का विकल्प भी अपना सकता है।

हालांकि इस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों के लिए सरकारी सेक्टर के मुकाबले प्राइवेट सेक्टर में रोजगार की बेहतर संभावनाएं हैं। आप चाहें तो बतौर आर्किटेक्ट अपनी सलाहकार फर्म स्थापित कर सकते हैं या कांट्रेक्टर के तौर पर भी काम कर सकते हैं।

इस क्षेत्र से जुड़े प्रोफेशनल्स जो स्वतंत्र रूप से कार्य करना चाहते हैं या सरकारी नौकरी करना चाहते हैं, उन्हें काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर (सीओए) में अपना रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। सीओए एक सरकारी निकाय है। विदेशों में भी इस क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए बेहतर संभावनाएं हैं।

पारिश्रमिक
इस क्षेत्र में एक फ्रेशर का शुरुआती वेतन 12,000 से 15,000 रुपए प्रतिमाह तक हो सकता है। अनुभव के साथ-साथ इसमें इजाफा संभव है। एक अनुभवी आर्किटेक्ट का मासिक पैकेज ५क्,क्क्क् रुपए से लेकर 100,000 रुपए से ज्यादा तक हो सकता है। अपनी सलाहकार फर्म खोलकर भी आप अच्छी कमाई कर सकते हैं।

प्रमुख संस्थान
वास्तुकला अकादमी, स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड इंटीरियर डिजाइनिंग, नई दिल्ली।
सर जेजे कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर, मुंबई।
स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, दिल्ली व हैदराबाद।
स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर सेंटर फॉर एन्वायरमेंटल प्लानिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीईपीटी), अहमदाबाद।
बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस।