22 अप्रैल 2010

भरोसा रखिए, आप सुरक्षित महसूस करेंगे


हमारी भक्ति एक तरह की सौदेबाजी हो गई है। मंदिर जा रहे हैं तो भगवान से यह अपेक्षा रखते हैं कि हम आर्थिक, सामाजिक और व्यक्तिगत रूप से सुरक्षित रहेंगे। अगर थोड़ी भी गड़बड़ होती है तो हमारी भक्ति डगमगा जाती है। भक्ति का सबसे बड़ा सूत्र है भरोसा, अगर आप को परमात्मा पर ही भरोसा नहीं है तो फिर आप उससे सुरक्षा की ग्यारंटी कैसे मांग सकते हैं। वास्तव में हमें उससे कुछ मांगने की जरूरत भी नहीं है, हम सिर्फ उसकी व्यवस्था पर, शक्ति पर भरोसा रखें तो बाकी वो खुद ही आपका ध्यान रखेंगे।

भक्त भगवान पर भरोसा करते हैं और सुरक्षा की ग्यारंटी भी चाहते हैं। हम जितना संसार से अपने आपको सुरक्षित रखना चाहेंगे हमें परमात्मा के प्रति विश्वास पैदा करने में उतनी ही बाधा आएगी। संसार में रहकर हम प्रयास करते हैं सुरक्षा का एक घेरा हमारे आसपास बन जाए। हमारे लिए कभी-कभी परमात्मा भी सुरक्षा करने की वस्तु हो जाता है जबकि होना चाहिए विश्वास। आप परमात्मा पर भरोसा रखिए उसके बाद भूल जाइए कि आप सुरक्षित हैं या असुरक्षित, बाकि काम ईश्वर देखेंगे। परमात्मा पर विश्वास होना अपने आपमें ही एक बहुत बड़ी सुरक्षा है।भगवान हमेशा अपने भक्तों से कहते हैं तुम लोग सुखद संभावना के पात्र हो। इसलिए असंतोष और असमंजस से बाहर निकलो। भगवान तीन तरह के भक्तों को सावधान करते हुए कहते हैं मैं उन लोगों से नाराज रहता हूं जो अन्याय करते हैं, सीधे-सीधे अन्याय सहते हैं और तीसरे वो लोग जो इन दोनों स्थितियों को देखते हैं। इस मामले में मुझे मूकदर्शक और गैर जिम्मेदार लोग पसंद नहीं हैं। मैं अपने भक्तों का अंतिम समय तक और पुन: आरंभ तक साथ देता हूं। मेरे पास सुधार की संभावना है और दुलार के अनेक अवसर हैं जो मैं भक्तों के लिए सुरक्षित रखता हूं। फिर भी भक्त हैं कि वे मुझे ही धोखा देने को तैयार रहते हैं। हम भक्तों को यह समझना होगा कि अभी वह धूल ही नहीं बनी है जो भगवान की आंख में झोंकी जा सके।इसलिए सांसारिक सुरक्षाओं पर अधिक मत टिकिए। धन, भवन, रिश्ते, पद ये सब सांसारिक सुरक्षा के दृश्य हैं जो माया की तरह हैं। आज है कल नहीं रहेंगे। भवन में रहो, भवन को अपने भीतर मत रखो। धन आपके खाते में हो आपके दिल में न हो। हृदय में भगवान के प्रति विश्वास हो तो देह को भले ही संसार में उतार दें फिर खतरा नहीं रहेगा।