07 अप्रैल 2010

नीम हकीमों से सावधान - रत्न धारण

अक्सर लोग जब तकलीफ के दौर से गुजरते हैं तो किसी भी व्यक्ति के कह देने से या कुछ लोग अपने मन से नाल की अंगूठी या नीलम धारण कर लेते है, क्यों कि अक्सर धारणा यही होती है कि मुझे शनि परेशान कर रहा है जबकि ऐसा कम होता है पर बदनाम शनि जो है। जनसाधारण व्यक्ति इसी धारणा से अंगूठी धारण कर लेते है, अक्सर लोगों की तकलीफें बढ़ जाती है, परन्तु वे ये समझते है कि, मै ये अंगूठी धारण नहीं करता तो पता नही मेरा और क्या बुरा हाल होता और कष्ट मय जीवन व्यतीत करते रहते है। इसलिए रत्नों व धातु का उपयोग बिना विद्वान के परामर्श बिना नहीें करना चाहिये। उक्त जानकारी रूद्राक्ष जांच से स्पष्ट हुई है।

प्रत्येक राशि के सभी कारक ग्रहों के रत्नो को एक साथ धारण करने का परिणाम अक्सर खराब आता है :-
जैसे वृश्चिक राशि के कारक ग्रह सूर्य,चंद्र,मंगल और गुरू है और इनके रत्न माणक ,मोती,मूंगा और पुखराज है तो इन चारों का एक लाकेट या ये चारों की अलग-अलग अंगूठी बना कर एक साथ धारण करने के परिणाम भी रूद्राक्ष जांच में खराब पाये गये है, क्योंकि जिस रत्न की उस समय आवश्यकता नहीं है और धारण किया गया है तो वह अपना दुष्प्रभाव भी दिखा सकता है।

अत: समय-समय पर आवश्यकतानुसार ही रत्न धारण करना चाहिए ऐसे कई धारणकर्ता की रूद्राक्ष द्वारा जांच की गई और ये पाया गया कि सभी कारक ग्रहों के रत्न राशिनुसार एक साथ धारण से कई प्रकार की तकलीफें होती है। अनावश्यक पाया गया रत्न उतरा देने से जातक की तकलीफ दूर होते रेखा गया है। इसी लिए कहते हैं असम अनावश्यक रत्न धारण करना अनुचित होता है।