22 मार्च 2010

Hindi Novel - Elove : ch-43 चलो

सुबह सुबह ऑफीसमें आए बराबर अंजली अपने काममें व्यस्त हो गई. तभी शरवरी कॅबिनमें आ गई.

'' प्रतियोगीता कब कलसे शुरु होनेवाली है ना? '' अंजलीने शरवरीसे पुछा.

'' हां'' शरवरीने एक फाईल ढुंढते हूए जवाब दिया.

'' कितने लोगोंके अप्लीकेशन्स आए है ?'' अंजलीने पुछा.

'' लगभग तिन हजार'' शरवरीने उत्तर दिया.

'' ओ माय गॉड ... इतने लोगोंमें उस ब्लॅकमेलरको ढुंढना यानी ... पहाड खोदकर चुहा निकालने जैसा होगा... और वहभी अगर वह इस प्रतियोगीतामें शामील हुवा तो?... नही?'' अंजलीने पुछा.

'' हां कठिण तो है ही '' शरवरी एक फाईल लेकर शरवरीके सामने आकर बैठते हूए बोली.

तभी अंजलीका फोन बजा. अंजलीने फोन उठाकर अपने कानको लगाया,

'' अंजली... मै इन्स्पेक्टर कंवलजित बोल रहा हूं ..'' उधरसे आवाज आया.

'' मॉर्निंग अंकल....''

'' मॉर्निंग ... तुम्हे पता तो होगाही की प्रतियोगिताके लिए 3123 अप्लीकेशन्स आए है ... उसमें हमने जो लेफ्ट हॅन्डेड और राईट हॅन्डेड जानकारी मंगवाई थी ... उसके अनुसार जो लेफ्ट हॅन्डेड लोगोंके है वे 32 अप्लीकेशन्स अलग किए हूए है.... उसमेसें एक लडकेका हॅन्डरायटींग हुबहु मॅच हो रहा है ... उसका नाम है अतूल विश्वास... '' उधरसे इन्स्पेक्टरने जानकारी दी.

'' गुड व्हेरी गुड... '' अंजली एकदम खुश होते हूए बोली, '' थॅंक्यू अंकल... मै आपके उपकार किस तरह उतार सकुंगी... मुझे तो कुछ समझमें नही आ रहा है ...'' अंजली खुशीके मारे बोली.

'' इतने जल्दी इतना खुश होकर नही चलेगा ... अभी तो सिर्फ शुरुवात है ... उसे कानुकके शिकंजेमें पकडनेके लिए हमे और काफी मेहनत करनी पडेगी ..'' इन्स्पेक्टरने कहा.

'' क्यों? ... अभी तुरंत हम उसे नही पकड पाएंगे ?'' अंजलीने निराश होकर पुछा.

'' नही अभी नही ... आगे तो सुनो ... हमने अभी उसका फोन टॅप करना शुरु किया है .. ताकी उसके और कोई साथीदार होंगे तो उसे हम पकड पाएंगे ... और सारे सबुत इकठ्ठा होतेही उसे अरेस्ट करेंगे .. '' इन्स्पेक्टर कंवलजितने कहा.

अंजलीका तो मानो खुन खौल रहा था. उस ब्लॅकमेलरको कब एक बार पकडकर उसे सजा दी जाए ऐसा उसे हो रहा था. उसे फिलहाल वह कुछभी नही कर सकती इस बातका दुख हो रहा था.

लेकिन नही...

मै कुछ तो करही सकती हूं ...

यह खबर अगर विवेकको दी जाए तो.....

यह खबर सुनतेही वह कितना खुश हो जाएगा ...

उसने फोनका क्रेडल उठाया और वह एक नंबर डायल करने लगी.


पोलिस स्टेशनमें इन्स्पेक्टर कंवलजितके सामने एक पुलिस बैठा हुवा था.

'' सर हमने अतुल बिश्वासके सारे फोन कॉल्स टॅप किए है ... उनमेंसे यह एक महत्वपुर्ण लगा ..'' वह पुलिस सामने रखा टेपरेकॉर्डर शुरु करते हूए बोला.

टेपरेकॉर्डर शुरु हो गया और उसमेंसे वह टेप किया हुवा फोन कॉल सुनाई देने लगा.-

'' अलेक्स... मुझे वहां आनेके लिए 7-8 दिन लगेंगे ... पैसे संभालकर रखना ... मै वहां पहूचनेके बाद हम उसे बाट लेंगे .. '' अतुलने कहा.

'' ठिक है .. '' अलेक्सने कहा.

'' और हां ... अपने कॉम्प्यूटरको पुरी तरहसे फॉरमॅट करना... उसमें कुछभी बाकी रहना नही चाहिए ... ''

'' ठिक है ... तूम इधरकी बिलकुल चिंता मत करो... मै सब संभाल लूंगा ..''

'' ओके देन ... बाय''

'' बाय .. ''

इन्स्पेक्टर कंवलजितने वह संवाद रिवाईंड कर फिरसे बार बार सुना. और फिर वे एक इरादेके साथ खडे होते हूए उस पुलिससे बोले,

''चलो ''

इन्सपेक्टरने भलेही सिर्फ एकही शब्द कहा था, फिरभी वह इशारा उस पुलिसको काफी था. इन्स्पेक्टर आगे आगे और वह पुलिस उनके पिछे पिछे चलने लगे.