21 मार्च 2010

Hindi Novel : ELove- ch-35 विवेकका क्या होगा ?

कॉन्फरंस रुममें अंजली, इन्स्पेक्टर कंवलजीत और शरवरी बैठे हूए थे. अंजली इन्स्पेक्टर और शरवरीसे इसी केसके सिलसिलेमें कुछ बाते कर रही थी. सब कुछ बयान होनेके बाद अंजलीने एक लंबी सांस ली और आगे कहा,

'' तो पुरी कहानी इस प्रकार है ...''

अंजलीने फिरसे एकबार सामने बैठे इन्स्पेक्टर कंवलजीत और शरवरीकी तरफ देखा.

'' कंवलजीत अंकल... अब मुझे डर ... वह ब्लॅकमेलर फोटो इंटरनेटपर डालेगा क्या? इस बात का नही है ... मुझे असली चिंता है विवेककी ... शायद विवेक उनके कब्जेमें है ... उसके जानको खतरातो नही ?'' अंजलीने अपना डर जाहिर किया.

'' उसकी जो मेल आई थी उसे हमारे एक्स्पर्टसने ट्रेस करनेकी कोशीश की थी ... एक्सॅक्ट लोकेशन और कॉम्प्यूटरका तो कुछ पता नही चला ... लेकिन इतना जरुर पता चला की मेल मुंबईसे कहीसे की गई होगी.''

'' इसका मतलब पैसे कहां देना है और कैसे देना है यह बतानेवाली मेलभी मुंबईसेही आएगी '' इतनी देरसे चुप्पी साधी हूई शरवरी पहली बार बोली.

'' शायद हां ... या शायद ना भी ... यह वह क्रिमीनल कितना पहूंचा है इसपर निर्भर करेगा ... लेकिन इसबार हम पहलेसेही तयार होनेसे, मेल कौनसे गांवसे, उस गांवके किस जगहसे और कौनसे कॉम्प्यूटरसे आई यह हमे पता चल सकेगा ... '' इन्सपेक्टरने कहा.

'' इसका मतलब हमारे पास उसके अगले मेलका इंतजार करनेके अलावा दुसरा कोई चारा नही है ... '' अंजली निराश होकर बोली.

'' हां ... लगता तो ऐसाही है .. '' इन्स्पेक्टरभी सोचते हूए सारी संभावनाए जांचते हूए बोला.


एक पुरानी कार एक सायबर कॅफेके पास आकर रुकी. गाडीके ड्रायव्हींग सिटपर अलेक्स बैठा हूवा था और उसके बगलके सिटपर अतूल बैठा हूवा था. शायद किसीको शक ना हो इसलिए उन्होने वहां आनेके लिए और अगले सारे कामके लिए उस पुरानी कारको चूना था. गाडी रुकतेही गाडीसे अतूल निचे उतरा.

'' तूम अब पैसे लानेके लिए निकल जावो ... मै मेलपर उसे जगहकी सारी जानकारी देता हूं ... और सुनो ... जरा संभलकर ... तुम्हे काफी अंतर तय करना है '' अतूलने उतरते हूए अलेक्ससे कहा.

'' यू डोन्ट वरी... तूम एकदम बिनधास्त रहो '' अलेक्स गाडीके ड्रायव्हींग सिटपर बैठे हूए बोला.

'' अच्छा पैसे मिलनेके बाद उस पंटरका क्या करना है '' अलेक्सने कुछ सोचते हूए पुछा. उसका इशारा विवेककी तरफ था.

'' उसका क्या करना है .. यह बादमें देखेंगे .... लेकिन वह अपनी महबुबाके लिए शहीद होगा इसकी जादा संभावना पकडकर हमे चलना होगा... क्योंकी रास्तेसे चलते हूए सामने आए गढ्ढोंको भरते हूए आगे जाना जरुरी होता है ... नही तो वापस आते हूए उसी गढ्ढोंमे फिसलकर गिरनेकी संभावना जादा होती है.'' अतूल उतरते हूए गुढतासे हसते हूए अलेक्सकी तरफ देखते हूए बोला.

अलेक्सभी उसकी तरफ देखकर मुस्कुराया.

अतूल गाडीसे उतरा और सायबर कॅफेकी तरफ निकल पडा. अलेक्सने गाडी आगे बढाई और अगले चौराहेपर मुडकर वह तेजीसे आगे निकल गया.