14 मार्च 2010

ऊपरी हवा पहचान और निदान

प्राय: सभी धर्मग्रंथों में ऊपरी हवाहों, नज़र दोषों आदि का उल्लेख है। कुछ ग्रंथों में इन्हें बुरी आत्मा कहा गया है तो कुछ अन्य में भूत-प्रेत और जिन्न।
ज्योतिश सिद्धांत के अनुसार गुरु पित्रदोश, शनि यमदोष, चन्द्र व शुक्र जल देवी दोष, राहु सर्प व प्रेत दोष, मंगल शाकिनी दोष, सूर्य देव दोष एवं बुध कुल देवता दोष का कारक होता है। राहु, शनि व केतु ऊपरी हवाओं के कारक ग्रह हैं। जब किसी व्यक्ति के लग्न (शारीर), गुरु (ज्ञान), त्रिकोण (धर्म भाव) तथा द्विस्वभाव राशियों पर पाप ग्रहों का प्रभाव होता है, तो उस पर ऊपरी हवा क़ी संभावना होती है।

लक्षण
नजर दोष से पीड़ित व्यक्ति का शरीर कंपकंपाता रहता है। वह अक्सर ज्वर, मिर्गी आदि से ग्रस्त रहता है।

कब और किन परिस्थितियों में डालती हैं ऊपरी हवाईन किसी व्यक्ति पर अपना प्रभाव?
जब कोई व्यक्ति दूध पीकर या कोई सफ़ेद मिठाई खाकर किसी चौराहे पर जाता है, तब ऊपरी हवाएं उस पर अपना प्रभाव डालती हैं। गन्दी जगहों पर इन हवाओं का वास होता है, इसीलिए ऐसे जगहों पर जाने वाले लोगों को ये हवाएं अपने प्रभाव में ले लेती हैं। इन हवाओं का प्रभाव रजस्वला स्त्रियों पर भी पड़ता है। कुएं, बावड़ी आदि पर भी इनका वास होता है। विवाह व अन्य मांगलिक कार्यों के अवसर पर ये हवाएं सक्रिय होती हैं। इसके अतिरिक्त रात और दिन के 12 बजे दरवाजे क़ी चौखट पर इनका प्रभाव होता है।

दूध व सफ़ेद मिठाई चन्द्र के घोतक हैं। चौराहा राहु का घोतक है। चन्द्र राहु का शत्रु है, अतः जब कोई व्यक्ति उक्त चीजों का सेवन कर चौराहे पर जाता है, तो उस पर ऊपरी हवाओं के प्रभाव क़ी संभावना रहती है।

कोई स्त्री जब राजस्वला होती है, तब उसका चन्द्र व मंगल दोनों दुर्बल हो जाते हैं। ये दोनों राहु व शनि के शत्रु हैं। रजस्वलावस्था में स्त्री अशुद्ध होती है और अशुद्धता राहु क़ी घोतक है। ऐसे में उस स्त्री पर ऊपरी हवाओं के प्रकोप क़ी संभावना रहती है।
कुएं एवं बावड़ी का अर्थ होता है जल स्थान और चन्द्र जल स्थान का कारक है। चन्द्र राहु का शत्रु है, इसलिये ऐसे स्थानों पर ऊपरी हवाओं का प्रभाव होता है।
मनुष्य क़ी दायीं आँख पर सूर्य का और बायीं पर चन्द्र का नियंत्रण होता है। इसलिए ऊपरी हवाओं का प्रभाव सबसे पहले पहले आँखों पर ही पड़ता है।
युति
किसी स्त्री के सप्तम भाव में शनि, मंगल और राहु या केतु क़ी युति हो, तो उसके उसके पिशाच पीड़ा से ग्रस्त होने की संभावना रहती है।

गुरु नीच राशि अथवा नीच राशि के नवांश में हो, या राहु सेयुत हो और उस पर पाप ग्रहों क़ी दृष्टी हो, तो जातक क़ी चंडाल प्रवति होती है।
पंचम भाव में शनि का सम्बन्ध बने तो व्यक्ति प्रेत एवं क्षुद्र देवियों क़ी भक्ति करता है।
ऊपरी हवाओं के प्रभाव से मुक्ति के सरल उपाय
उपरी हवाओं से मुक्ति हेतु शास्त्रों में अनेक उपाय बताये गए हैं। अर्थवेद में इस कई मन्त्रों व स्त्रियों स्तुतियों का उल्लेख है। आयुर्वेद में भी इन हवाओं से मुक्ति के उपायों का विस्तार से वर्णन किया गया है। यहाँ कुछ प्रमुख सरल एवं प्रभावशाली उपायों का विवरण प्रस्तुत है।

* उपरी हवाओं से मुक्ति हेतु हनुमान चालीसा का पाठ और गायत्री का जप तथा हवं करना चाहिए। इसके अतिरिक्त अग्नि तथा लाल मिर्ची जलानी चाहिए।
* रोज़ सूर्यास्त के समय एक साफ़- सुथरे बर्तन में गाय का आधा किलो कच्चा दूध लेकर उसमें शुद्ध शहद क़ी 9 बूँदें मिला लें। फिर स्नान करके, शुद्ध वस्त्र पहनकर मकान क़ी छत से नीचे तक प्रत्येक कमरे, जीने, गैलरी आदि में उस दूध के छींटे देते हुए द्वार तक और बस हुए दूध को मुख्य द्वार के बाहर गिरा दें। क्रिया के दौरान इष्टदेव का स्मरण करते रहे। यह क्रिया इक्कीस दिन तक नियमित रूप से करें, घर पर प्रभावी उपरी हवाएं दूर हो जायेंगी।
* रविवार को बांह पर काले धतूरे क़ी जड़ बांधें, उपरी हवाओं से मुक्ति मिलेगी ।
* लहसून के रस में हींग घोलकर आँख में डालने या सुंघाने से पीड़ित व्यक्ति को उपरी हवाओं से मुक्ति मिल जाती है।
* उपरी बाधाओं से मुक्ति हेतु निम्नोक्त मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए। "ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः कोशेश्वस्य नमो ज्योति पंतगाय नमो रुदाय नम: सिद्धि स्वाहा।"
* घर के मुख्य द्वार के समीप श्वेतार्क का पौधा लगायें, घर उपरी हवाओं से मुक्त रहेगा।
* उपले या लकड़ी के कोयले जलाकर उसमें धूनी क़ी विशिष्ट वस्तुएं डालें और उससे उत्पन्न होने वाला धुंआ पीड़ित व्यक्ति को सुंघाएं। यह क्रिया किसी ऐसे व्यक्ति से करवाएं जो अनुभवी हो और जिसमें पर्याप्त आत्मबल हो।
* प्रातः काल बीज मंत्र 'क्लीं' का उच्चारण करते हुए काली मिर्च के 9 दाने सिर पर से घुमाकर दक्षिण दिशा क़ी और फेंक दें, उपरी बला दूर हो जायेगी।
* रविवार को स्नानादि से निवृत्त होकर काले कपडे क़ी छोटी थैली में तुलसी के 8 पत्ते, 8 काली मिर्च और सहदेई क़ी जड़ बंधकर गले में धारण करें, नजर दोष बाधा से मुक्ति मिलेगी।
* निम्नोक्त मंत्र का 108 बार जप करके सरसों का तेल अभिमंत्रित कर लें और उससे पीड़ित व्यक्ति के शरीर पर मालिश करें, व्यक्ति पीडामुक्त हो जाएगा। मंत्र : ॐ नमोह काली कपाला देहि देहि स्वाहा
उपरी हवाओं के शक्तिशाली होने क़ी स्थिति में शाबर मन्त्रों का जप एवं प्रयोग किया जा सकता है। प्रयोग करने के पूर्व इन मन्त्रों का दीपावली क़ी रात को अथवा होलिका दहन क़ी रात को जलती हुई होली के सामने या फिर शमशान में 108 बार जप कर इन्हें सिद्ध कर लेना चाहिए। यहाँ यह उल्लेख कर देना आवश्यक है क़ी इन्हें सिद्ध करने के इच्छुक साधकों में पर्याप्त आत्मबल होना चाहिए, अन्यथा हानि हो सकती है।
* निम्न मंत्र से थोडा-सा जीरा 7 बार अभिमंत्रित कर रोगी के शरीर से स्पर्श करायें और उसे अग्नि में दाल दें। रोगी को इस स्थिति में बैठना चाहिए क़ी उसका धुंआ उसके मुख के सामने आये। इस प्रयोग से भूत- प्रेत बाधा क़ी निवृत्ति होती है।
मंत्र : जीरा जीरा महाजीरा जिरिया चले।
जीरिया क़ी शक्ति से फलानी चली जाय॥
जीये तो राम्ताले मोहे तो मशान टेल।
हमरे जीरा मंत्र से अमुख अंगा भूत चले॥
जाय हुक्म पाडुआ पीर की दोहाई॥

* एक मुठ्ठी धुल को निम्नोक्त मंत्र से 3 बार अभिमंत्रित करें और नज़र दोष से ग्रस्त व्यक्ति पर फेकें, व्यक्ति को दोष से मुक्ति मिलेगी।

मंत्र : तह जीये कुठठ इलाही का बान।
कूडूम की पत्ति चिरावन।
भाग भाग अमुक अंक से भूत।
मारुं धुलावन कृष्ण वर्पूत।
आज्ञा कामरू कामाख्या।
हारि दासीचणडदोहाई ॥

* थोड़ी सी हल्दी को 3 बार निम्नलिखित मंत्र से अभिमंत्रित करके अग्नि में इस तरह चोदें क़ी उसका धुंआ रोगी के मुख क़ी और जाए। इसे हल्दी बाण मंत्र कहते हैं।

हल्दी गीरी बाण बाण को लिया हाथ उठाय ।
हल्दी बाण से नीलगिरी पहाड़ थहराय ॥
यह सब देख बोलत बीर हनुमान ।
डाइन योगिनी भूत प्रेत मुंड काटौ तान ॥
आज्ञा कामरू कामाक्षा माई ।
आज्ञा हाडि की चंडी की दोहाई ॥