22 मार्च 2010

सोच बनाती है हमें सफल ( Thinking makes us successful )

टैनफ़ोर्ड विश्वविधालय में विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेम जी द्वारा विद्यार्थियों के सामने दिए गए भाषण के चुनिंदा अंश यहाँ हम आपके लिये प्रस्तुत कर रहे हैं : जिंदगी में किसी चीज के खोने पर ही उसकी अहमियत समझ में आती है। मसलन मुझे वृद्धावस्था में युवावस्था के असल मायने समझ में आ रहे हैं। मैंने 1960 के दशक में अपने कैरियर की शुरुआत की थी। तब का भारत आज के भारत जितना विकसित नहीं था। आज देश काफी हद तक आत्मनिर्भर बन गया है। कैरियर के चोइस 50 साल के सफ़र में मैंने सबक सीखें।

हाथों में कमान
मैंने कैरियर का सफरनामा इसी सोच के साथ शुरू किया था। 21 साल कि उम्र में मैंने अमालानेर स्थित विप्रो फक्ट्री में काम शुरू किया। तब लोगों ने मुझे अपना बिसनेस शुरू करने कि बजे अच्छी नौकरी की सलाह दी। लेकिन मुझे ख़ुशी हैं कि मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

ख़ुशी से बड़ा कोई धन नहीं
हमें नहीं भूलना चाहिए जितनी आसानी से कमाया जाता है उसी तरह वह चला भी जाता है। हम उसी चीज का सही महत्व जान पाते हैं जो मेहनत से कमाया जाता है।
असफलता से बड़ी कोई सफलता नहीं
जिंदगी में कई चुनौतियां आती है। जरुरी नहीं कि आप सभी पर खरे उतरें। काइयों में असफलता भी हाथ लगती है। सफलता के उन्माद में झूमने के साथ अगर असफलता को मुंहतोड़ जवाब दिया जाए, तो आपको बड़ी कामयाबी हाथ लगेगी।


हमेशा सीखते रहना
जीवन में हमेशा सीखने के लिये तत्पर रहना चाहिए। मजबूत इरादों वाले लोग सीखने के लिये हमेशा उत्सुक रहते हैं। यूरोप में एग्जिक्यूटिव के एक सर्वे के मुताबिक़ लीडरशिप की सफलता के लिये सबसे महत्वपूर्ण यह है कि वे व्यक्ति किसी भी स्थिति में सीखने के लिये कितना लालायित रहता है। अपनी सफलता का अभिमान के लिये हमेशा घातक सिद्ध होता है।