20 मार्च 2010

शबे-बरा'त: रब को राजी करने के जतन

जब मालिक की रहमत पूरे जोश पर हो तो बंदे भला क्यों पीछे रहें। 6 अगस्त को शबे-बरा"त पर रोशनी से जगमगाती मस्जिदों-घरों में लोग अपने लिए रब की रहमत माँग रहे थे तो कब्रिस्तानों में जाकर दिवंगतों के लिए दुआ कर रहे थे। कुछ जगहों पर जलसे भी हुए। जहाँ दीन पर चलते हुए जिंदगी गुजारने की बातें समझाई गईं।

शबे-बरा"त की पाक रात में जामिआ गौसिया गरीब नवाज की जानिब से 17वीं अहले-सुन्नत कॉन्फ्रेंस बजरिया में आयोजित की गई। मारहरा (उप्र) से आए मौलाना सैयद नजीब हैदर ने कहा कि हिन्दुस्तान हमारा मुल्क है। हम इसके वफादार ही नहीं, जिम्मेदार भी हैं। वफादार तो बिक सकता है, जिम्मेदार कभी नहीं बिकता। रदौली से आए मौलाना मुस्तुफा के मुताबिक मुसलमान का ईमान मजबूत होगा तो अमल भी पुख्ता होगा। मजहबे-इस्लाम पर चलेंगे तो अल्लाह के नेक बंदे व बेहतरीन इंसान बनेंगे।

बस्ती से तशरीफ लाए मुफ्ती कमरूद्दीन ने कहा कि मुल्क से जहालत व बेरोजगारी का खात्मा करना होगा, तभी हम सब तरक्की कर सकते हैं। मुफ्ती शम्सुद्दीन (बहराइच) ने कहा कि नमाज पढ़ने से इंसान की भीतरी व बाहरी यानी दिल की व जिस्म की सफाई होती है। जिसका दिल पाक होगा वह किसी को नुकसान पहुँचाने की बात भी नहीं सोच सकता।

मौलाना रैहान फारुकी ने शबे-बरा"त की अहमियत बयान करते हुए कहा कि यह रमजान आने का ऐलान है। अब हमें रमजान की तैयारियों में लग जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सबको मिलकर तालीम पर तवज्जो देनी चाहिए। इसके बिना न दीन दुरुस्त हो सकता है न दुनिया। लोगों को बुरे कामों से बचने की सीख देते हुए मौलाना ने बताया कि आज की रात रहमतों की रात है लेकिन बुराई करने वालों जैसे शराबी, माँ-बाप का कहना न मानने वाले, लोगों के हक मारने वालों की सुनवाई नहीं होती।

शहर में रात भर गहमागहमी का समाँ था। मस्जिदों व भीड़भाड़ वाले इलाकों में जगह-जगह चाय का खुसूसी इंतजाम किया गया था। रोजा रखने वालों के लिए कुछ जगह "सहरी" की व्यवस्था भी थी। शबे-बरा"त की शब बेदारी (रात्रि जागरण) के बाद जुमे को दिन में लोगों ने रोजा रखकर अल्लाह तआला का शुक्र अदा किया कि उसने शबे-बरा"त की कद्र करने व इस रहमतों वाली रात में इबादतें करने की समझ व हिम्मत दी।