04 फ़रवरी 2010

Hindi literature - Novel - ELove : CH-17 कहाँ गलती हूई ?

अंजली चिंताग्रस्त अवस्था में अपनी कुर्सी पर बैठी थी। उसके टेबल के सामने ही शरवरी बैठी हूई थी। विवेक के साथ बिताया एक एक पल याद करते हूए पिछले तीन दिन कैसे बीत गए अंजली को कुछ पता ही नही चला था। लेकिन आज उसे चिंता होने लगी थी।

"" आज तीन दिन हो गए ... ना वह चैटिंग पर मिल रहा है ना उसकी कोई मेल आई है।'' अंजली ने शरवरी से चिंता भरे स्वर में कहा।

एक दिन में न जाने कितनी बार चैटिंग पर चैट करने वाला और एक दिन में न जाने कितनी मेल्स भेजने वाला विवेक अब अचानक तीन दिन से चुप क्यों हो गया ? सच मुच यह एक चिंता की ही बात थी।

"" उसका कोई कॉन्टॅक्ट नंबर तो होगा ना ?'' शरवरी ने पूछा।

"" हां है... लेकिन वह कॉलेज का नंबर है... लेकिन वहां फोन कर उसके बारे में पूछना उचीत होगा क्या ?'' अंजली ने कहा।

"" हा वह भी है '' शरवरी ने कहा।

"" मुझे चिंता है ... कही वह मेरे बारे में कुछ गलत सलत सोचकर ना बैठे ... और अगर वैसा है तो पता नही वह मेरे बारें में क्या सोच रहा होगा ... '' अंजली ने मानो खुद से ही सवाल किया।

हॉटेल में जो हुआ वह नही होना चाहिए था ...

उसकी वजह से शायद वह अपने बारे में कुछ गलत सोच रहा होगा....

लेकिन जो भी हुआ वह कैसे ... अचानक... दोनों को कोई मौका दिए बिना हो गया....

मैने उसे हॉटेल में बुलाना ही नही चाहिए था...

उसे अगर हॉटेल में नही बुलाया होता तो यह घटना घटी ही नही होती...

अंजली के दिमाग में पता नही कितने सवाल और उनके जवाब भिड कर रहे थे।

"" मुझे नही लगता की वह तुम्हारे बारे में कुछ गलत सोच रहा होगा... वह दूसरे ही किसी कारणवश तुम्हारे संपर्क में नही होगा... जैसे किसी महत्वपूर्ण काम के सिलसिले में वह शहर से बहार गया होगा....'' शरवरी अंजली के दिल को समझाने बहलाने की कोशीश करते हुए बोली।

लेकिन अंदर से वह भी उतनी ही चिंतातूर थी। अंजली ने शरवरी को हॉटेल में घटित घटना के बारे में विस्तार से बताया मालूम हो रहा था। वैसे वह उसे अपनी बहुत करीबी दोस्त मानती थी और उससे निजी बाते भी नही छुपाती थी।

"" उसे होटल के अंदर बुलाया नही होता तो शायद यह नौबत नही आती '' अंजली ने कहा।

"" नही नही वैसा कुछ नही होगा... पहले तुम अपने आपको बिना मतलब कोसना बंद कर दो... '' शरवरी उसे समझाने की कोशीश करती हुई बोली।

मोना ने जल्दी जल्दी उसके सामने से गुजर रहे आनंदजीं को रोका।

""आनंदजी आपने शरवरी को देखा क्या ?'' मोना ने पूछा।

"" हां ॥ वह उपर विकास के पास बैठी हूई है ... क्यो क्या हुआ ?'' आनंदजीने मोना का चिंता से ग्रस्त चेहरा देखकर पुछा।

"" कुछ नही... अंजली मैम ने उसे तुरंत बुलाने के लिए कहा है ॥ आप उधर ही जा रहे हो ना ... तो उसे अंजली मैम के पास तुरंत भेज देंगे प्लीज... कुछ महत्वपूर्ण काम लगता है '' मोना आनंदजीं से बोली।

"" ठीक है ... मै अभी भेज देता हूं ॥'' आनंदजी सीडियां चढते हूए बोले।