08 फ़रवरी 2010

Hindi Book - ELove CH-23 अवार्ड

उस दिलको दर्द देनेवाले, नही दिल को पुरी तरह तबाह कर देनेवाले घटनाको घटकर अब लगभग 10-15 दिन हो गए होंगे। उस घटना को जितना हो सके उतना भूलनेकी कोशीश करते हूए अंजली अब पहले जैसे अपने काममें व्यस्त हो गई थी। या यू कहिए उन घटनासे होनेवाले दर्दसे बचनेके लिए उसने खुदको पुरी तरह अपने काममें व्यस्त कर लिया था। उसी बिच अंजलीको आयटी क्षेत्रमें भूषणाह समझे जाने वाला 'आय टी वुमन ऑफ द ईअर' अवार्ड मिला। उस अवार्डकी वजहसे उसके यहां प्रेसवालोंका तांता लगने लगा था। उस भिडकी अब अंजलीकोभी जरुरत महसूस होने लगी थी। क्योंकी उस तरहसे वह अपने अकेलेपनसे और कटू यादोंसे बच सकती थी। पिछले चारपांच दिनसे लगभग रोजही कभी न्यूजपेपरमें तो कभी टिव्हीपर उसके इंटरव्हू आ रहे थे।

अंजली ऑफीसमें बैठी हूई थी। शरवरी उसके बगलमेंही बैठकर उसके कॉम्प्यूटरपर काम कर रही थी। उस बुरे अनुभवके बाद अंजलीका चॅटींग और दोस्तोंको मेल भेजना एकदमही कम हुवा था। खाली समयमें वह यूंही बैठकर शुन्यमें ताकते हुए सोचते बैठती थी। उसके दिमागमें मानो अलग अलग तरहकी विचारोंका सैलाब उठता था। लेकिन वह तुरंत उन विचारोंको अपने दिमागसे झटकती थी। अबभी उसके मनमें विचारोंका सैलाब उमड पडा था। उसने तुरंत अपने दिमागमें चल रहे विचार झटकर अपने मनको दुसरे किसी चिजमे व्यस्त करनेके लिए टेबलका ड्रावर खोला। ड्रॉवरमें उसे उसने संभालकर रखे हूए न्यूजपेपरके कुछ कटींग्ज दिखाई दिए। ' आय टी वुमन ऑफ द इअर - अंजली अंजुळकर' न्यूज पेपरके एक कटींगपर हेडलाईन थी। उसने वह कटींग बाहर निकालकर टेबलपर फैलाया और वह फिरसे वह समाचार पढने लगी।

यह समाचार पढनेके लिए अब इस वक्त मेरे पिताजी होने चाहिए थे....

उसके जहनमें एक विचार आकर गया।

उन्हे कितना गर्व महसूस हुवा होता... अपनी बेटीका ...

लेकिन भाग्यके आगे किसका कुछ चला है? ...

अब देखोना अभी अभी आया हुवा विवेकका ताजा अनुभव ...

वह सोच रही थी तभी कॉम्प्यूटरका बझर बजा।

काफी दिनोंसे चॅटींग और मेलींग कम करनेके बाद ज्यादातर उसे किसीका मेसेज नही आता था ....

फिर यह आज किसका मेसेज होगा ...

कोई हितचिंतक?...

या कोई हितशत्रू...

आजकल कैसे हर बातमें उसे दोनो पहेलू दिखते थे - एक अच्छा और एक बुरा। ठेस पहूंचनेपर आदमी कैसे संभल जाता है और हर कदम सोच समझकर बढाता है।

अंजलीने पलटकर मॉनीटरकी तरफ देखा।

'' विवेकका मेसेज है ...'' कॉम्प्यूटरपर बैठी शरवरी अंजलीकी तरफ देखकर सहमकर बोली। शरवरीके चेहरेपर डर और आश्चर्य साफ नजर आ रहा था। वह भावनाए अब अंजलीके चेहरेपरभी दिख रही थी। अंजली तुरंत उठकर शरवरीके पास गई। शरवरी अंजलीको कॉम्प्यूटरके सामने बैठनेके लिए जगह देकर वहांसे उठकर बगलमें खडी हो गई। अंजलीने कॉम्प्यूटरपर बैठनेके पहले शरवरीको कुछ इशारा किया वैसे शरवरी तुरंत दरवाजेके पास जाकर जल्दी जल्दी कॅबिनसे बाहर निकल गई।

'' मिस। अंजली ... हाय ... कैसी हो ?'' विवेकका उधरसे आया मेसेज अंजलीने पढा।

एक पल उसने कुछ सोचा और वह भी चॅटींगका मेसेज टाईप करने लगी -

'' ठीक है ... '' उसने मेसेज टाईप किया और सेंड बटनपर क्लीक करते हूए उसे भेज दिया।

'' तुम्हे फिरसे तकलिफ देते हूए मुझे बुरा लग रहा है ... लेकिन क्या करे? ... पैसा यह साली चिजही वैसी है ... कितनेभी संभलकर इस्तमाल करो तो भी खतम हो जाती है ...'' उधरसे विवेकका मेसेज आ गया।

अंजलीको शक थाही की कभी ना कभी वह और पैसे मांगेगा ...

'' मुझे इस बार 20 लाख रुपएकी सख्त जरुरत है ...'' उधरसे विवेकका मेसेज आ गया।

अभी तो तुम्हे 50 लाख रुपए दिए थे ... अब मेरे पास पैसे नही है ...'' अंजलीने झटसे टाईप करते हूए मेसेज भेज भी दिया।

मेसेज टाईप करते हूए उसके दिमागमें औरभी काफी विचारोंका चक्र चल रहा था।

'' बस यह आखरी बार ... क्योंकी यह पैसे लेकर मै परदेस जानेकी सोच रहा हूं '' उधरसे विवेकका मेसेज आया।

'' तुम परदेस जावो ... या और कही जावो ... मुझे उससे कुछ लेना देना नही है ... देखो ... मेरे पास कोई पैसोका पेढ तो नही है ... '' अंजलीने मेसेज भेजा।

'' ठिक है ... तुम्हे अब मुझे कमसे कम 10 लाख रुपए तो भी देने पडेंगे ... पैसे कब कहा और कैसे पहूंचाने है वह मै तुम्हे मेल कर सब बता दुंगा ...'' उधरसे मेसेज आया।

अंजली कुछ टाईप कर उसे भेजनेसे पहलेही विवेकका चॅटींग सेशन बंद हो गया था। अंजली एकटक उसके सामने रखे कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ देखने लगी। वह देखतो मॉनिटरके तरफ थी लेकिन उसके दिमागमें विचारोंका तांता लग गया था। लेकिन फिरसे उसके दिमागमें क्या आया क्या मालूम?, वह झटसे उठकर खडी हो गई और लंबे लंबे कदम भरते हूए कॅबिनसे बाहर निकल गई।

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