08 फ़रवरी 2010

Hindi Books - ELove CH-21 विवेक कहा गया होगा ?

जॉनी अपनेही धुनमें मस्त मजेमें सिटी बजाते हूए रास्तेपर चल रहा था। तभी उसे पिछेसे किसीने आवाज दिया।

'' जॉनी...''

जॉनीने वही रुककर सिटी बजाना रोक दिया। आवाज पहचानका नही लग रहा था इसलिए उसने पिछे मुडकर देखा। एक आदमी जल्दी जल्दी उसीके ओर आ रहा था। जॉनी असमंजससा उस आदमीकी तरफ देखने लगा क्योंकी वह उस आदमीको पहचानता नही था।

फिर उसे अपना नाम कैसे पता चला ?..

जॉनी उलझनमें वहा खडा था। तबतक वह आदमी आकर उसके पास पहूंच गया।

'' मै विवेकका दोस्त हूं ... मै उसे कलसे ढूंढ रहा हूं ... मुझे कॅफेपर काम करनेवाले लडकेने बताया की शायद तुम्हे उसका पता मालूम हो '' वह आदमी बोला।

शायद उस आदमीने जॉनीके मनकी उलझन पढ ली थी।

'' नही वैसे वह मुझेतो बताकर नही गया। ... लेकिन कल मै उसके होस्टेलपर गया था... वहां उसका एक दोस्त बता रहा था की वह 10-15 दिनके लिए किसी रिस्तेदारके यहां गया है ...'' जॉनीने बताया।

'' कौनसे रिस्तेदारके यहां ?'' उस आदमीने पुछा।

'' नही उतना तो मुझे मालूम नही ... उसे मैने वैसा पुछाभी था लेकिन वह उसेभी पता नही था ... उसे सिर्फ उसकी मेल मिली थी '' जॉनीने जानकारी दी।

अंजली अपने कुर्सीपर बैठी हूई थी और उसके सामने रखे टेबलपर एक बंद ब्रिफकेस रखी हूई थी। उसके सामने शरवरी बैठी हूई थी। उनमें एक अजीबसा सन्नाटा छाया हूवा था. अचानक अंजली उठ खडी हो गई और अपना हाथ धीरेसे उस ब्रिफकेसपर फेरते हूए बोली, '' सब पहेलूसे अगर सोचा जाए तो एकही बात उभरकर सामने आती है ..''

अंजली बोलते हूए रुक गई। लेकीन शरवरीको सुननेकी बेसब्री थी।

'' कौनसी ?'' शरवरीने पुछा।

'' ... की हमें उस ब्लॅकमेलरको 50 लाख देनेके अलावा फिलहाल अपने पास कोई चारा नही है ... और हम रिस्क भी तो नही ले सकते ''

'' हां तुम ठिक कहती हो '' शरवरी शुन्यमें देखते हूए, शायद पुरी घटनापर गौर करते हूए बोली।

अंजलीने वह ब्रिफकेस खोली। ब्रिफकेसमें हजार हजारके बंडल्स ठिकसे एक के उपर एक करके रखे हूए थे. उसने उन नोटोंपर एक नजर दौडाई, फिर ब्रिफकेस बंद कर उठाई और लंबे लंबे कदम भरते हूए वह वहांसे जाने लगी. तभी उसे पिछेसे शरवरीने आवाज दिया -

'' अंजली...''

अंजली ब्रेक लगे जैसे रुक गई और शरवरीके तरफ मुडकर देखने लगी।

'' अपना खयाल रखना '' शरवरीने अपनी चिंता जताते हूए कहा।

अंजली दो कदम फिरसे अंदर आ गई, शरवरीके पास गई, शरवरीके कंधेपर उसने हाथ रखा औड़ मुडकर फिरसे लंबे लंबे कदम भरते हूए वहांसे चली गई।

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