19 फ़रवरी 2010

स्पर्श से भगाएँ रोग...

ब्रह्मांड शक्ति से चिकित्सा की अनोखी रीति

क्या किसी व्यक्ति का स्पर्श आपकी लाइलाज बीमारी को ठीक कर सकता है। क्या ईश्वर से ऊपर कोई शक्ति है ...आप मानें या न मानें लेकिन केरल में रहने वाले एक व्यक्ति का यही दावा है। जी हाँ, आस्था और अंधविश्वास की इस कड़ी में हम आपकी मुलाकात करवा रहे हैं केरल के आचार्य एमडी रवि मास्टर से। एमडी मास्टर खुद को ‘ब्रह्मगुरु’ कहते हैं। इनका दावा है कि वे सिर्फ स्पर्श के माध्यम से व्यक्ति को स्वस्थ कर सकते हैं। उसके नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों में बदल सकते हैं। इसके साथ ही वे अपने अनुयायियों को नकारात्मक ऊर्जा से दूर रखने के लिए पवित्र जल भी देते हैं।

यह स्थान केरल राज्य के कोट्टयम जिले के चँगनास्सेरी नामक स्थान पर है, जो त्रिवेंद्रम से 135 और कोच्चि से करीब 87 किलोमीटर दूर स्थित है। इस जगह को ‘ब्रह्म धर्मालय’ के नाम से जाना जाता है। जब हम वहाँ पहुँचे तो वहाँ लगी भीड़ को देखकर चौंक गए। बातचीत में पता चला कि ये सभी लोग ‘ब्रह्मगुरु’ के नाम से पहचाने जाने वाले आचार्य एमडी रवि मास्टर से इलाज करवाने आए थे। हमने देखा कि एक तेजस्वी व्यक्ति अनोखे ढंग से उनके अंदर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकाल रहे थे और सकारात्मक ऊर्जा से उनकी बीमारी दूर कर रहे थे। ये ही आचार्य एमडी रवि मास्टर थे।

"एमडी रवि मास्टर कोई चिकित्सक न होकर पेशे से दर्जी हैं, जिन्होंने बहुत मुश्किल से सामान्य शिक्षा प्राप्त की है। उनके अनुसार बीमारियों के उपचार की यह विधा उनके भीतर उनके पुनर्जन्म द्वारा आई।"
उन्होंने हमें बताया कि उनके उपचार की यह प्रणाली ‘ब्रह्मज्ञान’ की आध्यात्मिक शक्तियों पर आधारित है, जो एक सर्वव्यापी ऊर्जा है। वे इसी ऊर्जा से मरीज की बीमारियों का इलाज करते हैं। खास बात यह है कि उनका यह उपचार सभी के लिए निःशुल्क है।

रवि मास्टर का यह भी दावा है कि वे अपनी प्रार्थना के वक्त किसी भी देवी-देवता से बात कर सकते हैं, पर दूसरी ओर वे यह भी मानते हैं कि वे कोई जीवित ईश्वर नहीं हैं। वे इस कार्य को अपनी किस्मत मानते हैं, जिसका उद्देश्य लोगों की सेवा करना है।

नशे की लत के अलावा उनके धर्मालय में उनसे उपचार करवाने के लिए कई तरह के मानसिक और शारीरिक रोगों से ग्रसित लोग आते हैं, जिन्हें वे ठीक करने का दावा करते हैं। आश्चर्य की बात यह भी है कि वे सोराइसिस नामक घातक चर्मरोग का भी उपचार कर सकते हैं, जिसकी अभी तक कोई दवा नहीं बनी है। उनके इस आश्रम में किसी भी देवी-देवता की कोई मूर्ति नहीं है, जिसकी पूजा-अर्चना की जाती हो। उनका मानना है कि एक सर्वव्यापी शक्ति है, जो ईश्वर, अल्लाह या जीजस सबसे ऊपर है या मानें तो इन ईश्वरीय शक्तियों की जन्मदाता है।


मास्टर का जन्म 1953 में कोट्टयम जिले के त्रिवानांचुर नामक स्थान पर हुआ था। बचपन से ही रवि मास्टर की रुचि लोगों के भविष्यफल को जानने में थी। वे अपने रिश्तेदारों को उनके भूत-भविष्य से जुड़ी कई अजीबोगरीब बातें बताते थे, जिनके सच होने पर सभी आश्चर्यचकित हो जाते थे।

युवावस्था में उन्होंने दर्जी का पेशा चुना और इस क्षेत्र में महारत हासिल करने में जुट गए। विवाह के उपरांत 1986 में उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, लेकिन बेटे का वजन मात्र 750 ग्राम था। बेटा कुछ बड़ा हुआ तो पता चला कि वह न तो देख सकता है और न ही चल-फिर सकता है। वे उसे लेकर एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर तक भटकते रहे, लेकिन कोई लाभ न हुआ। अंत में उन्होंने ईश्वर की उपासना को ही अपना आखिरी रास्ता माना और ईश्वर से प्रार्थना प्रारंभ कर दी।

जनवरी 1993 में एक बार जब वे पूजा के लिए दीया जला रहे थे, तो एक चमत्कारिक शक्ति कहीं बाहर से आकर उनके शरीर में से गुजरी। उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उनके सामने रखा हुआ दीपक स्वयं उनके ही प्रकाश से जगमगा रहा था। उन्हें कुछ भी नहीं समझ आ रहा था कि उनके कानों में एक मधुर आवाज आई कि घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है।

उन्हें लगा कि कोई उनसे कह रहा है कि मैं ब्रह्मा हूँ, जिसने पूरे ब्रह्मांड और जीवन का सृजन किया है। अब मैं तुम्हारे भीतर समा चुका हूँ। अब तुम्हारे द्वारा हजारों-लाखों लोग उपचार प्राप्त करके गंभीर से गंभीर बीमारियों से छुटकारा पा सकेंगे और अपने जीवन को श्रेष्ठ तराके से जी सकेंगे। पुत्र की चिंता न करो, वह चार ही दिनों में बिलकुल स्वस्थ हो जाएगा।

पहले तो रवि मास्टर को लगा कि यह एक स्वप्न है, पर चौथे दिन उनका बेटा उनके समक्ष चलकर खड़ा हो गया और उसकी आँखों की ज्योति भी वापस लौट आई। तब उन्हें लगा कि उनके अंदर स्वयं ब्रह्मा का निवास है। तब से ही उन्होंने उस दीपक वाली घटना में मिले आदेश का पालन करना प्रारंभ कर दिया।

उस घटना के बाद उन्होंने पूरी तरह से नकारात्मकता द्वारा उत्पन्न लोगों की व्याधियों का निवारण करना प्रारंभ कर दिया। इन बीमारियों में कैंसर, सोरासिस, कमर दर्द और सिर दर्द जैसे रोगों का भी उन्होंने उपचार किया जिसके लिए अभी तक कोई दवा नहीं है।

वे कहते हैं कि मैं केवल मानवता की सेवा कर रहा हूँ। उनका यह उपचार बिलकुल निःशुल्क है। वे दावा करते हैं कि अभी तक तकरीबन आठ लाख से भी अधिक लोग इस उपचार प्रणाली द्वारा आराम पा चुके हैं, जिसे ब्रह्म ध्यान प्रणाली के रूप में जाना जाता है।

रवि मास्टर आगंतुकों को साल में एक बार ‘ब्रह्मतीर्थ’ नामक पवित्र जल देते हैं। वे विशेष समय में रोगियों का उपचार करते हैं। वे बताते हैं कि उन्हें अपने स्वयंभू दीपक से इन खास दिनों के निर्देश मिलते हैं, जिसे वे अपने अनुयायियों को बता देते हैं। इन खास दिनों में नवग्रहों की अद्भुत शक्ति ब्रह्मगुरु के शरीर में केंद्रित हो जाती है, जिसे वे जल में विसर्जित करते हैं। यह जल इस दीपक के सामने रखा होता है। रवि मास्टर इस जल को अपने अनुयायियों में बाँट देते हैं। माना जाता है कि इस पवित्र जल के सेवन से लोग नकारात्मक ऊर्जा से दूर रहते हैं।

जो लोग इस दैविक जल का सेवन करते हैं, उनके सारे पाप धुल जाते हैं और वे पूर्ण स्वस्थ हो जाते हैं। उन्हें उनके सभी रोगों से छुटकारा मिलता है। ब्रह्मगुरु के अनुसार मृत्यु के उपरांत भी जीवन है। मौत के बाद कुछ आत्माएँ काली शक्तियों के वश में हो जाती हैं, जिसे हम नरक कहते हैं और कुछ चंद्र मंडल में रहती हैं, जिसे हम स्वर्ग कहते हैं। जो लोग इस पवित्र जल को ग्रहण करते हैं, उनके परिवारजनों को किसी भी तरह का क्रिया-कर्म नहीं करना पड़ता है। उनकी आत्माओं को काली शक्तियाँ नहीं छू सकती हैं और वे स्वर्ग ही पहुँचते हैं।

हमारे सामने ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनसे उनके उपचार की क्षमता का पता चलता है, परंतु आधुनिक विज्ञान ऐसी किसी भी शक्ति को प्रामाणिक नहीं मानता है। उनके पास आने वाले लोगों का मानना है कि यह भी एक तरह की वैकल्पिक दवा है। हीलिंग के जरिये असाध्य रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है। आपको क्या लगता है? क्या आप मानते हैं कि स्पर्श या पवित्र जल का सेवन करने से हर तरह की बीमारी का उपचार किया जा सकता है।

2 टिप्‍पणियां: