11 फ़रवरी 2010

नवग्रह रत्न एवं समयावधि

ग्रह विशेष की अनुकूलता प्राप्त करने के लिए अक्सर आपको रत्नों की अंगूठी पहनने की सलाह दी जाती है। ग्रह संबंधी रत्न धारण करने से व्यक्ति को लाभ होता है। लेकिन रत्न एक निश्चित समयावधि तक ही प्रभावी होते हैं। समयावधि समाप्त होने के बाद रत्न निष्क्रिय और प्रभावहीन हो जाते हैं। रत्नों को फिर से प्रभावशाली बनाने के लिए फिर से इनकी प्राण-प्रतिष्ठा कराएं या नया रत्न धारण करें, तभी यह लाभकारी सिद्ध होंगे। किस ग्रह के रत्न की समयावधि क्या है, आइए जानें-ग्रह की शुभता या अनुकूलता प्राप्त करने के लिए प्राय: हम रत्नों की अंगूठी धारण करते हैं। इन रत्नों का प्रभाव एक निश्चित समय तक ही रहता है। उसके बाद ये निष्क्रिय हो जाते हैं। नव ग्रह संबंधी रत्नों का प्रभावशाली समय कितने वर्ष, माह, दिन का है। आइए इस पर चर्चा करें-


सूर्य रत्न माणिक्य का प्रभाव धारण करने के दिन से चार वर्षों तक रहता है, अन्य मतानुसार यह 3 माह 18 दिन विशेष प्रभावशाली होता है। इसके बाद यह निष्क्रिय हो जाता है। इसे प्रभावशाली बनाने के लिए दूसरा माणिक्य धारण करें या फिर से प्राण-प्रतिष्ठा कराएं।
चंद्र रत्न मोती धारण करने के दिन से दो साल दो दिन तक प्रभावि रहता है। इसके बाद फिर से प्राण-प्रतिष्ठा कराएं।
मंगल रत्न मूंगे का प्रभाव धारण करने से तीन वर्ष तीन दिन तक रहता है। अन्य मतानुसार 4 माह 27 दिन विशेष प्रभाव देता है। तदुपरांत यह निष्क्रिय हो जाता है। इसके बाद दूसरा मूंगा धारण करें या प्राण-प्रतिष्ठा फिर से कराएं।
बुध रत्न पन्ना का प्रभाव धारण करने से तीन वर्ष तक रहता है। अन्य मतानुसार 2 वर्ष 4 माह 27 दिन विशेष प्रभावशाली रहता है। तदुपरांत यह निष्क्रिय हो जाता है, फिर से दूसरा पन्ना धारण करें या प्राण-प्रतिष्ठा कराएं।बृहस्पति रत्न पुखराज का प्रभाव धारण करने से चार साल तीन माह 18 दिन तक रहता है। अन्य मतानुसार 2 वर्ष 1 माह 18 दिन विशेष प्रभाव डालता है। तदुपरांत निष्क्रिय हो जाता है। दूसरा नया पुखराज धारण कर लें या फिर से प्राण-प्रतिष्ठा करा लें।
शुक्र रत्न हीरा धारण करने के दिन से सात वर्षों तक प्रभावशाली रहता है। अन्य मतानुसार 3 वर्ष 4 माह तक विशेष प्रभाव रखता है। तत्पश्चात निष्क्रिय हो जाता है। इसके बाद दूसरा रत्न धारण करें।
शनि रत्न नीलम धारण करने के दिन से पांच वर्षों तक प्रभावशाली रहता है। अन्य मतानुसार 3 वर्ष 3 दिन विशेष प्रभावी रहता है। तदुपरांत निष्क्रिय हो जाता है। समयावधि बीतने के बाद दूसरा नीलम पहनें या फिर प्राण-प्रतिष्ठा कराएं।
राहु रत्न गोमेद धारण करने के दिन से तीन वर्षों तक प्रभावी होता है। अन्य मतानुसार 2 वर्ष 8 माह 12 दिन विशेष प्रभावी रहता है। इसके बाद निष्क्रिय हो जाता है। दूसरा गोमेद धारण करें या प्राण-प्रतिष्ठा कराएं रत्न की।

केतु रत्न लहसुनिया पहनने के दिन से तीन वर्षों तक प्रभावशाली रहता है। अन्य मतानुसार 4 माह 27 दिन विशेष प्रभाव डालता है। इसके बाद निष्क्रिय हो जाता है। तत्पश्चात दूसरा रत्न पहने या पुराने रत्न की प्राण-प्रतिष्ठा फिर से कराएं।