24 जनवरी 2010

~~~वृहस्पतिवार व्रत की आरती~~~

जय जय आरती राम तुम्हारी।
राम दयालु भक्त हितकारी॥
जनहित प्रगटे हरि व्रतधारी।
जन प्रहलाद प्रतिज्ञा पारी॥
द्रुपदसुता को चीर बढ़ायो।
गज के काज पयादे धायो॥
दस सिर छेदि बीस भुज तोरे।
तैंतीसकोटि देव बंदी छोरे॥
छत्र लिए सर लक्ष्मण भ्राता।
आरती करत कौशल्या माता॥
शुक शारद नारदमुनि ध्यावैं।
भरत शत्रुघन चँवर ढुरावैं॥
राम के चरण गहे महावीरा।
ध्रुव प्रहलाद बालिसुर वीरा॥
लंका जीति अवध हरि आए।
सब संतन मिलि मंगल गाए॥
सीय सहित सिंहासन बैठे। रामा।
सभी भक्तजन करें प्रणामा॥