01 जनवरी 2010

बंदर लाया गाँव में खुशहाली

क्या कभी आपने सुना है कि मृत बंदर किसी के सपने में आकर यह कहे कि मेरा क्रिया-कर्म करने से तुम्हारे गाँव में खुशहाली आएगी और गाँव वाले बंदर की बात पर भरोसा करके उसका क्रिया-कर्म करें तो इसे आप क्या कहेंगे, आस्था या अंधविश्वास?

कुछ ऐसी ही एक घटना के कारण म।प्र. के रतलाम जिले का ग्राम 'बरसी' सुर्खियों में आया। इस गाँव में गत वर्ष एक कुत्ते ने बंदर को मार डाला था। गाँव वालों ने बंदर को हनुमान का अवतार मानकर उसकी शवयात्रा निकाली, जिसमें सभी गाँववाले सम्मिलित हुए। इसके बाद बंदर को जमीन में दफनाया गया।
गाँव के लोग धीरे-धीरे उस घटना को भूल गए और अपनी सामान्य दिनचर्या में लौट गए। लेकिन घटना के लगभग एक वर्ष बाद ही गाँव में एक के बाद एक विपत्तियाँ आने लगीं। गाँव के पशु बीमार पड़ने लगे तथा अल्पवर्षा से गाँव की फसलें सुखने लगीं। इसी दरमियान वह मृत बंदर गाँव के सरपंच शंकरसिंह सिसौदिया के सपने में आया। सपने में बंदर ने कहा कि तुम मेरा क्रिया-कर्म करा दो तो तुम्हारी सारी विपत्तियाँ दूर हो जाएँगी।
सपने में बंदर की यह बात सुनकर शंकरसिंह चिंतिंत होकर पड़ोस के गाँव में 'नाग देवता' के स्थान पर गया। वहाँ जाकर उसने सपने वाली बात बताई। किसी के बदन में नाग देवता आए और उन्होंने कहा कि बंदर ने जैसा कहा है, तुम वैसा ही करो।
बंदर को हनुमान का अवतार मानने वाले बरसी गाँव के निवासियों ने जनसहयोग से बंदर का क्रिया-कर्म किया। इसके लिए हर घर से 5-5 कि।ग्रा। अनाज व धनराशि एकत्र की गई। इस आयोजन हेतु आसपास के 15 गाँवों के निवासियों को सामू‍हिक भोज का न्योता भेजा गया। इसमें लगभग 1500 से 2000 लोगों ने भोजन किया। इसके बाद गाँव के हनुमान मंदिर में रातभर 'अखंड रामायण' का पाठ कराया गया।
किसी मनुष्य के मरने पर उसका जो क्रिया-कर्म किया जाता है, वैसा ही सब कुछ गाँव वालों ने बंदर के मरने पर किया। गाँव के सरपंच सहित 20-25 पुरुषों ने अपने बाल दिए और गंजे हुए। बंदर के क्रिया-कर्म की बाकी प्रक्रिया उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर की गई। सभी क्रियाएँ संपन्न होने के दो दिन बाद ही गाँव में वर्षा हुई और गाँव के पशु फिर से स्वस्थ हो गए।
इस घटना को हम आस्था कहेंगे या अंधविश्वास। क्या मानसून की अनियमितता को बंदर का कोप कहा जा सकता है या फिर बंदर के क्रिया-कर्म के बाद गाँव में खुशहाली आना सचमुच बंदर की कृपा था? जो भी हो, इस बारे में पुख्ता तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता। आस्था और अंधविश्वास की यह यात्रा आपको कैसी लगी? मुझे अपने विचारों से जरूर अवगत कराएँ।